कश्मीर: पैलेट गन के कारण चली गई एक आंख की रोशनी, युवक ने पीड़ितों के लिए बना डाला ट्रस्ट
जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के हमले के दौरान मोहम्मद अशरफ वानी की एक आंख की रोशनी चली गई थी। दर्द भरी जिंदगी जीने के बजाय उन्होंने जीवन का मकसद ढूंढा और दूसरों की मदद करने की ठानी। 28 वर्षीय वानी ने इसके बाद पैलेट गन हमले के पीड़ितों के लिए एक ट्रस्ट बनाया था। उसे नाम दिया- पैलेट विक्टिम वेलफेयर ट्रस्ट। वानी ने ‘आउटलुक’ से इस बारे में बात की। कहा, “अगर मैं घर पर ठहरूंगा, तो खुदकुशी कर लूंगा। पैलेट गन के हमले में आंखें गंवा चुके अन्य लोगों के दिमाग में भी यही ख्याल आता होगा। हालांकि, हम और चीजें करने में भी यकीन रखते हैं। पर हमारी हालत मृत शरीर जैसी है।”
ऐसी स्थिति से ही बचने के लिए वानी जीने का मकसद तलाशने लगे। साल 2017 की शुरुआत में उन्होंने इस ट्रस्ट की स्थापना की। वे इसके बाद उन सैकड़ों युवाओं की मदद में जुट गए, जो पैलेट गन के हमलों में अपनी आंखें गंवा चुके थे या गंभीर रूप से चोटिल हुए थे। आपको बता दें कि वानी 31 अक्टूबर 2016 को सुरक्षाबलों द्वारा पैलट गन हमले का शिकार हुए थे। घटना के दौरान तब उनके शरीर पर लेड के तकरीबन 635 महीन हिस्से भी लगे थे।
सुरक्षाबलों ने इससे कुछ रोज पहले घाटी में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी को मार गिराया था, जिसके विरोध में कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। नाराज युवा पत्थर लेकर सड़कों पर उतर आए थे, जिन्हें तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने पैलेट गन का सहारा लिया था। पुलवामा के डिग्री कॉलेज से कला में स्नातक वानी ने आगे बताया, “सेना ने हम लोगों की आंखों पर पैलेट गन से हमला कर हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया, पर किसी ने भी इसका संज्ञान बड़ी घटना के रूप में नहीं लिया।” वानी को हर रोज उनका दोस्त घर से ट्रस्ट के दफ्तर तक लेकर जाता है, जबकि एक अन्य साथी शाम को उन्हें घर छोड़ता है।
वानी के अनुसार, यह ट्रस्ट दूसरों से बात करने पर जोर देता है। अगर हम (पैलेट गन पीड़ित) दिन में तीन लोगों से बात कर लेते हैं, तो इसका मतलब है कि हम जी सकते हैं। लेकिन हमारे ट्रस्ट के कई सदस्यों को करीबियों से ही भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनके अभिभावक और दोस्त-यार शामिल होते हैं। पर हम लोग आपस में बातचीत करते हैं। दो साल पहले तक सब ठीक था, लेकिन अब हमें दिखाई नहीं देता। मगर एक सामान्य आदमी इस पीड़ा को नहीं समझेगा।”