मुजफ्फरपुर कांड: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई नीतीश सरकार को फटकार, पूछा- शेल्टर होम को कौन दे रहा पैसा?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 अगस्त) को बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने ये फटकार मुजफ्फरपुर जिले में एनजीओ के द्वारा संचालित बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ हुए कथित रेप के मामले में लगाई है। कोर्ट ने कहा,” ऐसा लगता है कि जैसे ये गतिविधियां राज्य सरकार करवा रही थी।” मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस मदन बी लोकुर, दीपक गुप्ता और केएम जोसेफ शामिल थे। बेंच ने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों का भी जिक्र किया और कहा कि हर छह घंटे में भारत में एक महिला का रेप हो रहा है। साल 2016 में भारत में 38,947 महिलाओं के साथ रेप के मामले दर्ज किए गए थे। ये देश में क्या हो रहा है? देश के दाएं, बाएं और बीच में महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है।
इस मामले में न्याय मित्र बनाई गई वरिष्ठ वकील अपर्णा भट्ट ने कोर्ट को बताया कि मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह में हुए कथित दुष्कर्म के मामले में अभी तक कथित पीड़िताओं को कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि आखिर क्यों संस्थान के संचालकों के बारे में सरकारी फंड जारी करने से पहले जानकारी नहीं जुटाई गई? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा,” राज्य में बालिका गृह चलाने के लिए पैसे कौन दे रहा है?”
वहीं बिहार के आश्रय गृहों का सोशल आॅडिट करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंस ने कोर्ट को बताया कि बिहार में कुल 110 ऐसे संस्थान चल रहे हैं। जिसमें से 15 के विषय में गंभीर चिंता जताई गई है। इस पर बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न एनजीओ द्वारा संचालित होने वाले ऐसे 15 संस्थानों के अलावा 9 यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मुजफ्फरपुर का एनजीओ कोई अकेला नहीं है जो रेप के मामले में आरोपों का सामना कर रहा है। इस मामले की सुनवाई दोपहर 2 बजे फिर से शुरू होगी। वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मंगलवार को पुलिस ने उस महिला को ढूंढ निकाला है, जो मुजफ्फरपुर में इन्हीं लोगों के द्वारा संचालित किए जा रहे दूसरे आश्रय गृह से 11 अन्य लड़कियों के साथ कथित तौर पर गायब हो गई थी।
वहीं सरकार के द्वारा संचालित आश्रय गृह में 34 लड़कियों के साथ हुए कथित दुष्कर्म के मामले में बिहार सरकार सवालों के घेरे में है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को इस मामले के लिए तंत्र की कमजोरी को जिम्मेदार बताया और समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को विपक्षी नेताओं के आरोपों के आधार पर हटाने की मांग से इंकार कर दिया। नीतीश कुमार ने अपने नए फैसले का ऐलान करते हुए बताया था कि अब वह एनजीओ के द्वारा संचालित आश्रय गृहों का प्रबंधन समय के साथ सरकार के हाथों में लेने का प्रयास करेंगे।
वहीं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वर्मा को पद से हटने के लिए कहा जा सकता है, अगर वह दोषी पाई जाएं और उनके खिलाफ कुछ भी गलत करने का सबूत हो। सिर्फ किसी के शोर मचाने से किसी को हटने के लिए नहीं कहा जा सकता है।