हरिवंश: 500 रुपये से शुरू की थी नौकरी, 25 साल रहे संपादक, बिना खर्च बने सांसद!

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के अगले उप सभापति हो सकते हैं। एनडीए ने उन्हें इस पद का उम्मीदवार बनाया है। हरिवंश पेशे से पत्रकार और लेखक हैं। उनके जीवन पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की गहरी छाप है। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने जेपी आंदोलन में भाग लिया था। जेपी से हरिवंश का रिश्ता आंचलिक रहा है। यूपी के बलिया के सिताब दियारा के मूल निवासी जेपी के पड़ोसी रहे हरिवंश ने 1977 में टाइम्स ऑफ इंडिया में बतौर ट्रेनी जर्नलिस्ट करियर की शुरुआत की थी। बाद में वो ‘धर्मयुग’ पत्रिका में काम करने मुंबई चले गए। वहां वो 1981 तक उप संपादक रहे। सांसद बनने के बाद अपने एक कॉलम में उन्होंने लिखा था, “दस हजार सुरक्षा राशि देकर राज्यसभा का फार्म मिला। निर्विरोध चुनाव के बाद यह राशि भी वापस हो गयी। इस तरह बिना एक पैसा खर्च के राज्यसभा पहुंचने का प्रमाणपत्र मिला। एक पत्रकार के रूप में यह अनुभव छाप छोड़ गया है।”

बाद में हरिवंश ने साल 1981 से 1984 तक बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। इसके बाद वो आनंद बाजार पत्रिका की मैग्जीन ‘रविवार’ में 1989 तक बतौर सहायक संपादक काम किया। 1989 में ही हरिवंश ने उषा मार्टिन ग्रुप के मृतप्राय समझी जानेवाले अखबार ‘प्रभात खबर’ की कमान संभाली। उन्होंने अपने कौशल से न केवल इस अखबार को नया आयाम दिया बल्कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में उसके कई संस्करण शुरू करवाए। साल 1990 में जब वीपी सिंह के बाद चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने तब हरिवंश उनके अतिरिक्त सूचना सलाहकार बनाए गए थे। 25 साल तक प्रभात खबर के संपादक रहने के बाद उन्हें जेडीयू ने साल 2014 में राज्य सभा भेजा था। उससे पहले वो जेडीयू के प्राथमिक सदस्य भी नहीं थे। जब उन्हें राज्य सभा सांसद बनाया गया था तब कहा गया था कि राजपूत सांसद एन के सिंह की जगह इन्हें जातिगत कोटा भरने के लिए लाया गया है।

30 जून 1956 को यूपी के बलिया में जन्मे हरिवंश ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए किया है। वहीं से इन्होंने पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा भी किया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्होंने 500 रुपये के मासिक वेतन पर करियर की शुरुआत की थी। अभी हाल ही में हरिवंश ने भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र में किया था। हरिवंश मृदुभाषी रहे हैं। अपनी स्पष्टवादिता और पैनी लेखनी के लिए मशहूर रहे हैं।

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