शिव जी की त्रिशूल में छिपे माने जाते हैं कई दिलचस्प रहस्य, जानिए इन्हें
त्रिशूल को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। त्रिशूल के बिना शिव जी का कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि शिव की त्रिशूल में कई सारे दिलचस्प रहस्य छिपे हुए हैं। जी हां, आज हम सब इसी के बारे में जानने वाले हैं। त्रिशूल में तीन फलक होते हैं। माना जाता है कि ये तीनों फलक सतगुण, रजोगुण और तमोगुण के प्रतीक हैं। आयुर्वेद में भी त्रिशूल की व्याख्या की गई है। इसके मुताबिक ये तीन फलक वात, पित्त और कफ को दर्शाते हैं। मालूम हो कि शिव ने कैलाश पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया था। कहा जाता है कि शिव जी जंगली जानवरों से बचने और ऊंचे पर्वतों पर चढ़ने के लिए त्रिशूल का प्रयोग करते थे। इसके अलावा असुरों का संहार करने के लिए भी शिव ने त्रिशूल का प्रयोग किया।
त्रिशूल को शिव का अहम शस्त्र भी कहा गया है। माना जाता है कि त्रिशूल की महिमा चीन तक फैली हुई है। और त्रिशूल में आस्था रखने वाले दुनिया के कई कोनों में फैले हुए हैं। त्रिशूल की पूजा को शिव की पूजा माना गया है। कहते हैं कि त्रिशूल की पूजा मात्र से भी भोले बाबा को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके साथ त्रिशूल के दान को भी बहुत ही शुभ बताया गया है। कहते हैं कि इससे भक्त के जीवन के सारे कष्ट समाप्त होते हैं।
शिव जी त्रिशूल के अलावा डमरू का भी प्रयोग करते हैं। माना जाता है कि शिव अपने डमरू का प्रयोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए करते थे। डमरू एक नाद स्वर है। डमरू के बारे के कहा जाता है कि वह अंदर की आवाज को जागृत करता है। डमरू की ध्वनि के बारे में कहा जाता है कि ये आसपास के वातावरण में उल्लास और सकारात्मकता का संचार कर देती है।