तुर्कीः पटका नहीं उतारा तो प्रतियोगिता से बाहर हो गया भारतीय सिख पहलवान
भारतीय सिख पहलवान जशकंवर गिल उर्फ जस्सा पट्टी अंतरराष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा में हिस्सा नहीं ले पाए। वह तुर्की के इस्तांबुल में होने वाली अंतरराष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा में हिस्सा लेने के लिए गए थे। आयोजकों को जस्सा की पगड़ी पर आपत्ति थी जबकि सिख होने के नाते जशकंवर पगड़ी उतारने के लिए तैयार नहीं हुए। इसी बात पर आयोजकों ने विपक्षी पहलवानों को वॉक ओवर दे दिया।
इस्तांबुल में बीते 28 जुलाई को इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जब जशकंवर मैदान में उतरने ही वाला था। इससे पहले रेफरी ने उससे अपना पटका उतारने के लिए कहा। बता दें कि ये सिख पहलवानों का पुराना नियम माना जाता है। वह जब भी दंगल में लड़ने के लिए उतरते हैं तो सिर को ढकने वाला पटका पहनकर ही लड़ते हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ का नियम है कि पहलवान ऐसा हेडगियर पहन सकते हैं जो विपक्षी पहलवान को नुकसान न पहुंचाता हो। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री और पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी राज्यवर्धन सिंह राठौड ने एएनआई से कहा,”हम इस मामले में जानकारी ले रहे हैं।”
रेफरी का तर्क था कि ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ के नियमों का उल्लंघन है। लेकिन अगर वह चाहें तो महिलाओं की तरह बालों को बांधकर कुश्ती लड़ी जा सकती है। लेकिन जशकंवर ने अपने धार्मिक सिद्धान्तों से हटने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा आज की कुश्ती या तो वह अपनी पगड़ी पहनकर लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे । इसके बाद रेफरी ने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को वॉकओवर दे दिया।
भारतीय कुश्ती टीम के कोच जगमिंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि भारत का चीफ कोच होने के नाते मैंने आयोजकों को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। वह अड़े रहे कि अगर जशकंवर महिलाओं की तरह बाल बांधकर लड़ेंगे तो उन्हें अनुमति दी जाएगी। भारतीय कुश्ती दल के अधिकारियों ने इस मामले में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) और मेजबान एसोसिएशन से भी बात की। लेकिन मांग को अनसुना कर दिया गया।
जशकंवर गिल भारत के शीर्ष कुश्ती खिलाड़ियों में से एक हैं। वह दंगल की कुश्ती के सितारे माने जाते हैं। जशकंवर ने पिछले साल पुरस्कारों के रूप में करीब 1 करोड़ रुपया हासिल किया है। इसके अलावा अपने करियर में अभी तक पुरस्कार के रूप में 1 आल्टो कार, 2 ट्रैक्टर और 70 मोटरसाइकल भी जीत चुके हैं।