‘तीसरी आंख’ से स्चच्छता बरकरार रखेगा इंदौर नगर निगम, 600 वाहनों और 10 हजार कर्मियों पर होगी नजर
राष्ट्रीय स्वच्छता रैकिंग में लगातार दूसरे साल अव्वल रहे इंदौर के नगरीय प्रशासन ने साफ-सफाई की इस आगामी प्रतियोगिता में खिताब बचाने के लिये कमर कस ली है। इस मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने के लिये इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के 600 कचरा वाहनों और 10,000 कारिंदों पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) तकनीक के जरिये सीधी नजर रखे जाने का खाका तैयार किया गया है, ताकि पेशेवर उत्पादका को बढ़ाया जा सके। आईएमसी के आयुक्त आशीष सिंह ने बताया, “स्वच्छता के पैमानों पर इंदौर को देश भर में नम्बर-एक शहर बनाये रखना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। सफाई व्यवस्था के साथ अन्य बुनियादी सुविधाओं का स्तर बढ़ाने के लिये हमें अपने कारिंदों की उत्पादकता में भी इजाफा करना होगा। इसके लिये हम अलग-अलग तरीकों से जीपीएस तकनीक की मदद ले रहे हैं।” उन्होंने बताया कि घर-घर से कचरा जमा करने के लिये चलाये जा रहे करीब 600 छोटे-बड़े वाहनों पर लगे जीपीएस उपकरणों के जरिये इन पर बराबर नजर रखने की प्रायोगिक परियोजना चलायी जा रही है। इस परियोजना के तहत एक निजी आईटी कम्पनी से विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है. यह सॉफ्टवेयर इन वाहनों के ड्राइवरों के पेशेवर प्रदर्शन की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा।
आईएमसी आयुक्त ने बताया, “हमने शहर के 50 प्रतिशत वॉर्डों में इस परियोजना का परीक्षण कर लिया है। जीपीएस तकनीक की मदद से देखा जा रहा है कि कचरा वाहनों के ड्राइवरों ने अपशिष्ट संग्रहण के दौरान अपने तय रूट का पूरी तरह पालन किया या नहीं। यह भी आंका जा रहा है कि इन वाहनों को घर-घर से कचरा जमा करने में कितना समय लग रहा है।” कार्यस्थल नहीं पहुंचने वाले, देर से कार्यस्थल पहुंचने वाले और एक बार कार्यस्थल पहुंचकर जब-तब गायब हो जाने वाले कारिंदों पर नकेल कसने के लिये भी जीपीएस तकनीक आईएमसी प्रशासन का बड़ा सहारा बनेगी।
सह ने बताया, “हमने एक कम्पनी को पहले दौर में 10,000 स्मार्ट वॉच का आॅर्डर दिया है। जीपीएस तकनीक पर आधारित ये घड़ियां किराये पर ली जायेंगी। हर घड़ी का मासिक किराया 300 रुपये होगा। उम्मीद है कि अगले हफ्ते से हमें अलग-अलग खेपों में इन घड़ियों की आपूर्ति शुरू हो जायेगी।” उन्होंने बताया कि आईएमसी द्वारा किराये पर ली जाने वाली घड़ियां वह खुद और नगरीय निकाय के अन्य अधिकारी-कर्मचारी अपनी ड्यूटी के समय पहनेंगे। इन कारिंदों में अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त, सफाई अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी और इंजीनियर शामिल होंगे। यह स्मार्ट वॉच मैदानी स्तर पर कांिरदों की मौजूदगी और उनके काम-काज का पल-पल का हिसाब रखेगी।
सह ने बताया, “इस गैजेट की मदद से हम आसानी से जांच सकेंगे कि सफाई व्यवस्था के लिये जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मैदानी स्तर पर अपने कर्तव्य को सही तरीके से अंजाम दे रहे हैं या नहीं। कांिरदों की दैनिक हाजिरी लगाने और काम खत्म कर उनके कार्यस्थल से जाने का समय दर्ज करने में भी स्मार्ट वॉच का उपयोग किया जा सकेगा।” उन्होंने बताया कि ड्यूटी समय में आईएमसी के कचरा वाहनों और कारिंदों पर जीपीएस तकनीक की मदद से नजर रखने के लिये खास कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. इसमें अलग-अलग स्क्रीनों के जरिये शहर के सभी 85 वॉर्डों में सफाई व्यवस्था और अन्य सुविधाओं की वास्तविक स्थिति का जायजा लिया जा सकेगा।