एशियाई खेलों के इतिहास में पहली बार दो शहरों में आयोजित हो रहा एशियाई खेल
एशियाई खेलों के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब इसका आयोजन दो शहरों में होगा। पहला शहर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है और दूसरा पालेमबंग जो दक्षिण सुमात्रा की राजधानी है। 1962 के बाद पहली बार जकार्ता को इन खेलों की मेजबानी का मौका मिला है। दरअसल, जकार्ता और पालेमबंग एशियाई खेलों के आयोजन के लिए पहला विकल्प नहीं थे। इसका आयोजन वियतनाम के हनोई में होना था। हालांकि 2014 में वियतनाम ने मेजबानी से अपना नाम वापस ले लिया और इंडोनेशिया को मेजबानी का अवसर मिला।
12 राज्यों के 36 जिलों का सफर तय करेगा एशियाई खेलों का मशाल
एशियाई खेलों का मशाल दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडिय से होते हुए इंडोनेशिया के 12 राज्यों के 36 जिलों का सफर तय करेगा। 18 अगस्त को बंग कार्नो राष्ट्रीय स्टेडियम, जकार्ता में वह सफर खत्म होगा और खेलों का आगाज होगा। दिल्ली में मशाल प्रज्वलित करने के पीछे भी दिलचस्प कारण है। भारत ही एशियाई खेलों का जन्मदाता है और पहला आयोजन दिल्ली में ही हुआ था।
शुभंकर में शामिल हैं तीन जानवर
एशियाई खेलों के लिए शुभंकर के तौर पर तीन जानवरों को चुना गया है। ये इंडोनेशिया के विविधता और प्राकृतिक संपन्नता को दर्शाते रहे हैं। साथ ही तीनों शुभंकर खेल के तीन मूल्यों को भी बता रहे हैं जिनमें रणनीति, तेजी और मजबूती शामिल है। पहला शुभंकर भिन-भिन है जो एक पक्षी है। दूसरा अतुंग है जो एक हिरन है। तीसरे शुभंकर का नाम काका है जो एक गैंडा है।
दस हजार एथलीट लेंगे हिस्सा
एशियाई खेलों में लगभग दस हजार एथलीटों के भाग लेने की संभावना है। ये सभी जकार्ता और पालेमबंग में बने एशियाई खेल गांव में रहेंगे। इस खेल गांव को 10.6 हेक्टेयर में बसाया गया है जिसमें 7426 अपार्टमेंट बनाए गए हैं।