जब नाले की गैस से बनाई जाती थी चाय, पीएम मोदी ने सुनाया किस्‍सा

ये बात हर कोई जानता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बचपन में चाय बेचते थे। खुद पीएम कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं। हालांकि अब उन्होंने ऐसे चाय बेचने वाले शख्स का जिक्र किया है जो नाले से निकलने वाली गैस से चाय बनाता था। शुक्रवार (10 अगस्त, 2018) को वर्ल्ड बायोफ्यूल डे (विश्व जैवईंधन दिवस) पर पीएम मोदी ने बायोफ्यूल की अहमियत बताते हुए इससे जुड़ी कई रोचक कहानियां सुनाईं। उन्होंने बताया, ‘मैंने एक अखबार में पढ़ा था कि एक शहर में नाले के पास एक व्यक्ति चाय बेचता था। उस व्यक्ति के मन में विचार आया कि क्यों ना गंदी नाले से निकलने वाली गैस का इस्तेमाल किया जाए। उसने एक बर्तन को उल्टा कर उसमें छेद कर दिया और पाइप लगा दिया। अब गटर से जो गैस निकलती थी उससे वो चाय बनाने का काम करने लगा।’

प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने देखा कि एक शख्स ट्रैक्टर की ट्यूब को स्कूटर से बांधकर ले जा रहा था। हवा से भरा ट्यूब काफी बड़ा हो गया था। इससे यातायात में काफी परेशानी आ रही थी। पूछने पर शख्स ने बताया कि वह रसोई के कचरे और मवेशियों के गोबर से बायोगैस प्लांट में गैस बनाता है। बाद में उस गैस को ट्यूब में भरकर खेत ले जाता है, जिससे पानी का पंप चलाया जाता है।

बता दें कि पीएम मोदी ने चार साल में एथेनॉल का उत्पादन तीन गुना करने का लक्ष्य तय किया है और कहा है कि पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण से जहां किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी, बल्कि सरकार के तेल आयात बिल में भी 12,000 करोड़ रुपए की कमी लाई जा सकेगी। पीएम ने विश्व जैवईंधन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश में 10,000 करोड़ रुपए का निवेश कर जैवईंधन की 12 रिफाइनरी स्थापित करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करेगी और इसे बढाकर 2030 तक 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।

मोदी ने कहा कि इसमें से प्रत्येक रिफाइनरी 1,000-1,500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी। जैव ईंधन से कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। जैव ईंधन स्वच्छ पर्यावरण में योगदान देता है, किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का माध्यम बनता है और साथ ही ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

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