नोबेल पुरस्‍कार विजेता साहित्‍यकार वी एस नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

”A Bend in the River” और ”A House for Mr Biswas” जैसे उपन्‍यास लिखने वाले नोबेल पुरस्‍कार विजेता साहित्‍यकार वी एस नायपॉल का शनिवार (11 अगस्‍त) को निधन हो गया। परिवार द्वारा जारी बयान के अनुसार, नायपॉल ने 85 वर्ष की आयु में लंदन स्थित घर में देह त्‍यागी। पत्‍नी नादिरा नायपॉल ने कहा कि ”उन्‍होंने जो कुछ भी हासिल किया वह बहुत है। वह जिनसे प्‍यार करते थे, उनके बीच शरीर छोड़ गए। उन्‍होंने एक ऐसा जीवन जिया जो रचनात्‍मकता और प्रयासों से भरा हुआ था।”

17 अगस्‍त, 1932 को त्रिनिदाद में जन्‍म लेने वाले विद्याधर सूरजप्रसाद ”वी एस” नायपॉल की रचनाओं में यहां से लंदन की उनकी यात्रा और विभिन्‍न देशों के पड़ाव की छाया मिलती है। उन्‍हें 2001 में साहित्‍य के नोबेल से सम्‍मानित किया गया था। आधी सदी लंबे कॅरिअर में नायपॉल ने जो रचनाएं लिखीं, उसने उन्‍हें 20वीं सदी के महानतम लेखकों की पंक्ति में ला खड़ा किया। नायपॉल की ”A Bend in the River”, ”The Enigma of Arrival” और ”Finding the Centre” में उपनिवेशवाद, निर्वासन और विकासशील देशों के हर शख्‍स के संघर्ष की झलक मिलती है।

नायपॉल उपनिवेशवाद के खिलाफ थे, मगर खुद को किसी सामाजिक आंदोलन से अलग रखा। वह खुद को एक यथार्थवादी के रूप में देखते थे जो भ्रम से मुक्‍त हो चुका है। नायपॉल धर्म और राजनीति पर भी संदेह करते थे। कई बार उनकी टिप्‍पणियों पर विवाद हुआ। उन्‍होंने भारत को एक ‘गुलाम समाज’ कहा था। यह भी कि अफ्रीका का कोई भविष्‍य नहीं है और समझाया कि भारतीय महिलाएं माथे पर बिंदी यह कहने के लिए लगाती हैं कि ”मेरा दिमाग खाली है।”

नायपॉल बंधुआ मजदूरों की तरह वेस्‍टइंडीज लाए गए भारतीयों के वंशज थे। उनके पिता भी एक उपन्‍यासकार थे जिनकीं इच्‍छाएं मौके के अभाव में मारी गईं। नायपॉल जल्‍द से जल्‍द त्रिनिदाद छोड़ना चाहते थे। बाद में कई इंटरव्‍यू में उन्‍होंने त्रिनिदाद को अपनी पहचान से दूर ही रखा। 1983 में उन्‍होंने कहा, ”हां, मैं वहां पैदा हुआ था। मुझे लगा कि यह बड़ी गलती थी।”

1950 में नायपॉल को इंग्‍लैंड में पढ़ने के लिए स्‍कॉलरशिप मिली और वह ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी आ गए, जहां उनकी मुलाकात पैट्रिसिया हेल से हुई। दोनों ने 1955 में घरवालों को बिना बताए शादी कर ली। हेल की 1996 में ब्रेस्‍ट कैंसर से मौत हो गई थी। नायपॉल को 1990 में नाइटहुड की उपाधि मिली और 2001 में साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार उनका हुआ।

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