बर्बाद हो गई है पिछले साल BRD मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे डॉक्‍टर की जिंदगी, ‘कातिल’ कहते हैं सब

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बुखार से दर्जनों की मौत को एक साल पूरा हो गये है। इस कांड में जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है उनके जख्म धीरे-धीरे भर रहे हैं। 10 और 11 अगस्त 2017 को इस अस्पताल में कोहराम मचा था, तब कथित तौर पर ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से बुखार से पीड़ित कम से कम 30 बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इस कांड में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्णिमा मिश्रा पर कार्रवाई की गई थी। प्रशासन ने दोनों को सस्पेंड कर दिया था। इस घटना के एक साल बाद इन दोनों की जिंदगी मुश्किलों से गुजर रही है।

प्रिंसिपल राजीव कुमार मिश्रा और पूर्णिमा मिश्रा इस वक्त कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें लोगों का ताना सुनने को मिलता है। लोग ‘कातिल’ कर पुकारते हैं। इनके बेटे पुरक जो कि दिल्ली के अपोलो अस्पताल में डॉक्टर थे, ने अपनी नौकरी छोड़ दी है, अब वो उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। द टेलिग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 63 साल के राजीव कुमार मिश्रा पिछले साल 10 और 11 अगस्त को ऋषिकेष एम्स में थे। इन्हें यूपी सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर भेजा था। राज्य सरकार ने इन्हें वहां डायग्नॉस्टिक लैब स्थापित करने में मदद करने को कहा था। वे 11 अगस्त की रात को लौटे और 12 अगस्त को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। 61 साल की उनकी पत्नी पूर्णिमा होमियोपैथ की डॉक्टर है, वे गोरखपुर के एक अस्पताल में काम करती थीं, इस घटना के बाद उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया। अस्पताल में 13 अगस्त को ऑक्सीजन की सप्लाई चालू कर दी गई थी।

राजीव और पूर्णिमा को 29 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया। इन पर षड़यंत्र रचने और ऑक्सीजन की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। राजीव मिश्रा पर गैर इरादतन हत्या और विश्वास का आपराधिक हनन का गंभीर आरोप लगाया गया। राजीव मिश्रा इस वक्त लिवर, हायपर टेंशन, नसों के फूलने, छाती में पानी आने जैसी कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। पूर्णिमा उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रही हैं। जेल में इन दोनों की हालत और भी खराब हो गई थी। पूर्णिमा जब भी बोलने की कोशिश करती हैं उनकी सांस टूटने लगती है। मिश्रा दर्द से परेशान रहते हैं। दोनों को पिछले महीने ही में ऊपरी अदालत से बेल मिला है। डॉक्टर पुरक इन्हें इस वक्त दिल्ली में अपने पास रखते हैं। वे खुद दिल्ली के एम्स में इनका इलाज कराते हैं। डॉ पुरक कहते हैं, “मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी है, मैं अब मम्मी-पापा को चौबीसों घंटे देखता हूं, उनकी हालत सचमुच में खराब है, मैं उन्हें अपने पास रखने वाला हूं, उत्तर प्रदेश में सब लोगों ने मान लिया है कि वे कातिल हैं। इस मामले में अभी ट्रायल शुरु होना बाकी है।

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