सोमनाथ चटर्जी के अंतिम संस्कार में बोली बेटी- पापा ने सीपीआईएम के खिलाफ कभी एक शब्द नहीं बोला
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की बेटी अनुशिला ने सोमवार (13/08/2018) कहा कि उनके पिता को माकपा से निकाले जाने के बाद ‘बहुत पीड़ा’ हुई थी लेकिन उन्होंने पार्टी के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला । उन्होंने कहा, ‘‘ (माकपा से निष्कासन के बाद) हमें उनकी पीड़ा और व्यथा नजर आती थी। उन्होंने आजीवन पार्टी से प्यार किया। ’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता को पार्टी के खिलाफ बोलने को राजी करने का प्रयास भी किया लेकिन उन्होंने उसके विरुद्ध कुछ नहीं बोला। उल्लेखनीय है कि भारत-अमेरिका परमाणु करार के मुद्दे पर संप्रग सरकार से माकपा के समर्थन वापस लेने के बाद चटर्जी को लोकसभा के अध्यक्ष पद से (पार्टी द्वारा) इस्तीफा देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने उसकी बात नहीं मानी। इस पर उन्हें माकपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया।
अनुशिला ने आज यहां एक खबरिया चैनल से कहा, ‘‘हम उससे (पार्टी से)कोई शिष्टाचार नहीं चाहते। वह काफी शिष्टाचार दिखा चुकी है। ’’ वैसे उन्होंने माना कि पार्टी के कई नेता उनके पिता के संपर्क में बने रहे और उनमें से आज कुछ पहुंचे भी। चटर्जी का आज सुबह निधन हो गया। अनुशिला ने कहा कि माकपा नेताओं ने चटर्जी के पार्थिव शरीर पर पार्टी का झंडा रखने का प्रस्ताव रखा लेकिन ‘हमें मंजूर नहीं था। वैसे मेरे पिता को शायद खुशी होती (यदि उनका पार्थिव शरीर पार्टी के झंडे में लपेटा जाता।)’ पश्चिम बंगाल माकपा के कुछ नेताओं को चटर्जी के बेटे प्रताप का कोपभाजन बनना पड़ा। प्रताप ने कहा, ‘‘आपने मेरे पिता का इस्तेमाल किया और अब आप सहानुभूति दिखाने आये हैं। यह नौटंकी बंद कीजिए। ’’ इस संबंध में पूछे जाने पर माकपा विधायक सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘दुख की इस घड़ी में इस पर चर्चा करना अच्छा नहीं है। वह इस सबसे ऊपर थे। उन्हें सभी लोग प्यार करते थे। ’’ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य सूर्यकांत मिश्रा, बिमान बोस और कई अन्य नेता आज चटर्जी के घर पर पहुंचे।
जब यह पूछा गया कि पोलितब्यूरो के कथन में चटर्जी को कामरेड नहीं बताया गया जबकि प्रदेश समिति के बयान में ऐसा किया गया, तो येचुरी ने कहा, ‘‘बतौर पार्टी हम उनके निधन पर शोक प्रकट करते हैं। यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। उनके मार्गदर्शन की आज भी जरुरत है। मेरा उनके परिवार के साथ अच्छा संबंध रहा है।’’ मिश्रा ने कहा कि पार्टी ने चटर्जी के परिवार के सदस्यों से उनका पार्थिव शरीर झंडे में लपेटने के लिए या पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में लाने के लिए नहीं कहा, ‘‘उनका परिवार तय करेगा कि वह क्या करेगा।’’ वैसे पार्टी के एक धड़े ने चटर्जी को पार्टी में फिर से शामिल नहीं कर पाने पर अफसोस प्रकट किया।