घुसपैठियों पर बाबा रामदेव के तेवर सख्त, बोले- अमेरिकी हो या बांग्लादेशी, अवैध रूप से रहने वाले देश के लिए खतरा
योगगुरु बाबा रामदेव अपने एक ट्वीट की वजह से सोशल मीडिया में छाए हुए हैं। ट्वीट में उन्होंने घुसपैठियों का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि भारत में अवैध रूप से रहे हर एक नागरिक से देश को खतरा है। पूर्व में एनआरसी मुद्दे पर अपनी राय दे चुके रामदेव ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले ट्वीट में लिखा, ‘अवैध रूप से देश में रह रहा एक नागरिक भी देश के लिए खतरा है, चाहे वो बांग्लादेशी हो, पाकिस्तानी हो, रोहिंग्या हो या अमेरिकी ही क्यों न हो।’ हालांकि इस ट्वीट के बाद योगगुरु खुद सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। एक यूजर ने उनके पुराने ट्वीट का स्क्रीन शॉट लागकर कहा कि बाबा ऐसी बातें फिर ना करें प्लीज। दरअसल ट्विटर यूजर ने योगुरु का पुराना ट्वीट पोस्ट किया उसमें लिखा था, ‘मोदी सरकार में 100 दिन में वापस आएगा काला धन।’
एक अन्य ट्वीट में लिखा गया, ‘और शहद में चीनी मिलाने वाला आदमी खतरा नहीं है।’ मनप्रीत सिंह लिखते हैं, ‘ये सब छोड़िए, पतंजलि के कुछ सामान बहुत महंगे कर दिए हैं आपने। कम से कम आटे का रेट तो कम रखते, आशीवार्द और आपके आटे का रेट एक ही है।’ सुभाष चंद्र लिखते हैं, ‘और चाहे नेपाली, भूटानी ,श्रीलंकाई आदि आदि।’ राष्ट्रवादी ट्वीट कर लिखते हैं, ‘भारत देश के अंदर जो भी अवैध नागरिक बिना किसी अनुमति के रह रहा है उसे तुरंत गिरफ्तार कर देश की सीमा से बाहर निकाल देना चाहिए। यह हमारा देश है कोई धर्मशाला नहीं अतिथियों का सम्मान करना हमारी परंपरा है पर कब्जा करने वालो के प्रति ना कोई मानवता ना कोई संवेदना।’
विनय सिंह लिखते हैं, ‘अवैध तो अवैध होता है इसका कोई रूप नहीं होता है। जो भी कुछ अवैध है उससे देश और जनता को दोनों को नुकसान है।’ अमित ट्वीट कर लिखते हैं, ‘और नेपाली का क्या करना चाहिए।’ विजेंद्र मिश्रा लिखते हैं, ‘कब तक निकलेंगे ये घुसपैठिये या सिर्फ इसपे राजनीति ही होगी।’
बता दें कि इससे पहले रामदेव ने कहा था कि तीन-चार करोड़ लोग अवैध रूप से भारत में रहते हैं। इनमें रोहिंग्या और ऊपर से आ गए। इन्हें गलत तरीके से ट्रेनिंग दी गई है। ऐसे लोग अगर भारत में बस गए तो दस कश्मीर और तैयार हो जाएंगे। तब एनआरसी मुद्दे पर योगगुरु ने कहा कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की संख्या नियंत्रित करने के लिए एनआरसी एक महत्वपूर्ण कदम है।