सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को क्यों मजबूर हुए साढ़े तीन सौ सेना के जवान?
भारतीय सेना के 350 से अधिक जवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन सैनिकों ने खुद पर सेना के आॅपरेशन के दौरान की गई गतिविधियों पर एफआईआर दर्ज होने का विरोध किया है। सेना के ये आॅपरेशन ऐसे इलाकों में किए गए थे, जहां अफस्पा यानी सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून लागू था। सुप्रीम कोर्ट इन जवानों के मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में सेना के सूत्रों ने बताया, ऐसे कदम कई बार आॅपरेशन के दौरान जवानों का मनोबल तोड़ देते हैं। इससे देश में आंतरिक सुरक्षा का संकट भी पैदा हो सकता है। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे इलाकों में जहां अफस्पा लागू है, वहां भी सीबीआई और पुलिस सशस्त्र बलों के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में सेना की कथित गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को बुलाया था। कोर्ट ने मणिपुर में कथित फेक एनकाउंटर में हुई मौतों की जांच में जरूरत से ज्यादा समय लगने पर नाखुशी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस द्वय एमबी लोकुर और यूयू ललित की खंडपीठ कर रही थी।
बेंच से सीबीआई के निदेशक ने अपने जवाब में कहा कि 14 लोगों पर मणिपुर एनकाउंटर केस में कथित हत्या, आपराधिक षडयंत्र और सबूत मिटाने की चार्जशीट दाखिल की गई है। जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि 31 अगस्त को 5 और अंतिम रिपोर्ट मणिपुर में हुए एनकाउंटर के अन्य मामलों में दाखिल की गई है। वहीं मणिपुर में एनकाउंटर के 20 अन्य मामलों की जांच इसी साल दिसंबर के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।
मणिपुर में कथित तौर पर 1,528 झूठे एनकाउंटर के मामलों की सुनवाई के लिए दायर की गई पीआईएल की सुनवाई कर रही कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। ये आदेश 14 जुलाई 2017 को दिए गए थे। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने और आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू करने के आदेश दिए थे।