आलोचकों पर पहली बार बरसे सीजेआई- सिस्टम को बर्बाद करना आसान है, बदलना मुश्किल

लंबे समय से आलोचना झेल रहे देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने आज (15 अगस्त, 2018) को आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि ज्यूडिशियरी या सिस्टम की आलोचना करना और उस पर हमला करना बहुत आसान है लेकिन सिस्टम को सही दिशा में बदलना और उसे बरकरार रखना बहुत मुश्किल है। 72वें स्वाधीनता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में तिरंगा फहराने के बाद वहां मौजूद जजों, वकीलों और कोर्ट स्टाफ को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस मिश्रा ने सीनियर जजों को निजी महत्वकांक्षाओं से ऊपर उठने की सलाह दी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेन्स करने और सीजीआई के खिलाफ मोर्चा खोलने के करीब आठ महीने बाद सीजीआई ने सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की है। हालांकि, सीजेआई ने अपने संबोधन में किसी का भी नाम नहीं लिया।

सीजेआई ने कहा, “ठोस और मजबूत सुधार तर्कसंगतता, परिपक्वता, जिम्मेदारी और स्थिरता से ही लाया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “इसके लिए जरूरी है कि प्रोडक्टिव बना जाय न कि काउंटर प्रोडक्टिव।” माना जा रहा है कि सीजेआई दीपक मिश्रा की यह टिप्पणी उन वकीलों के लिए है जो ज्यूडिशियरी के अंदर और बाहर टॉक शो के जरिए अक्सर जजों की आलोचना करते रहते हैं। सीजीआई से पहले अपने संबोधन में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने भी कहा कि वो उन खबरों और टिप्पणियों से आहत महसूस करते हैं जो कोर्टरूम में इस्तेमाल होते हैं। उन्होंने दोनों पक्षों (जजों और वकीलों) से अनुरोध किया कि ऐसे बेतुके तर्कों और बहसों से बचें।

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद से ही दीपक मिश्रा विवादों में रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के कुछ सीनियर जजों ने इस साल के शुरुआत में सीजेआई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे और सार्वजनिक तौर पर सीजेआई पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। जज लोया की मौत की जांच के मामले में भी सीजेआई पर शिथिलता बरतने के आरोप लगाए गए थे। जस्टिस जे. चेलमेश्वर के घर पर हुई मीडिया कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चारों जजों ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।

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