पीएम के लंबे चौड़े संबोधन को मायावती ने बताया चुनावी भाषण, बोलीं- न ऊर्जा मिली, न उम्मीद!

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिए गये संबोधन को पूर्ण रुप से राजनीतिक शैली का चुनावी भाषण बताते हुये बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि इस लम्बे-चौड़े भाषण से सवा सौ करोड़ आबादी वाले देश को ना तो नई ऊर्जा मिली और ना ही कोई नई उम्मीद । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की आम जनता को उसके जान-माल व मज़हब की सुरक्षा की अति-महत्त्वपूर्ण संवैधानिक गारण्टी का आश्वासन देना भी भूल गये जबकि यह आज देश की आवश्यकता नम्बर वन बन गई है। मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि ‘उन्हें ऐसा राजनीतिक भाषण संसद में देना चाहिये था ताकि वहाँ सरकार की जवाबदेही तय हो सके तथा उनकी सरकार के अनेकों प्रकार के दावों की सत्यता को कसौटी पर परखा जा सके।

लाल किले से भाषण देश को नई उम्मीद जगाने व नया विश्वास दिलाने के लिये होना चाहिये। उन्होंने कहा कि लाल किले के भाषण को राजनीतिक स्वार्थ के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाता तो बेहतर होता, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा अपनी संकीर्ण व विद्वेष की राजनीति से ऊपर उठकर काम करने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि वैसे गरीबी, महंगाई तथा बेरोजगारी आदि की भयंकर समस्या के साथ-साथ वर्तमान की असली चिन्ता एवं समस्या खासकर विश्व की बहुत ही तेज़ी से बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति व व्यापार के जारी संकट के हालात हैं, जिससे पेट्रोल व डीजल के साथ-साथ भारतीय मुद्रा व विदेशों में बसे भारतीय बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लेकिन प्रधानमंत्री ने आज इस पर एक शब्द भी नहीं बोला जबकि पूरी दुनिया में इसकी गूंज है । यूरोप के सम्पन्न देशों सहित विश्व का लगभग हर स्वाभिमानी देश इस बारे में परेशान हैं। इस मसले पर प्रधानमंत्री देश को विश्वास में लेना भूल गये।

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