नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, 94 साल की उम्र में एम्स में ली आखिरी सांस
लंबे वक्त से बीमार चल रहे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एम्स में निधन हो गया। वाजपेयी 94 वर्ष के थे। उन्होंने पांच बजकर पांच मिनट पर आखिरी सांस ली। पिछले तीन दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिछले 24 घंटे से उनकी तबीयत बेहद नाजुक बनी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के शीर्ष नेता पूर्व प्रधानमंत्री से मिलने एम्स पहुंच रहे थे। देश के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी को 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
बीते 11 जून को मूत्र नली में संक्रमण, छाती में जकड़न तथा किडनी की नली में संक्रमण की वजह से वाजपेयी को एम्स में भर्ती किया गया था। तब ऐसा बताया गया था कि यह उनका रूटीन चेकअप है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। बुधवार को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से प्रधानमंत्री मोदी को संदेश मिला कि पूर्व पीएम की सेहत बहुत खराब है। उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया है। इसके बाद मोदी वाजपेयी का हाल जानने एम्स पहुंचे थे। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, सुरेश प्रभु, हर्षवर्धन, जितेंद्र सिंह तोमर तथा अश्विनी कुमार चौबे सहित कई नेता भी पूर्व पीएम का हाल जानने एम्स पहुंचे थे।
25 दिसंबर 1924 को ग्लावियर में जन्मे अटल बिहारी राजनेता के साथ उत्कृष्ट कवि और पत्रकार भी थे। उन्होंने ‘राष्ट्रद्धर्म’ और ‘पांचजन्य’ जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया था। रिकॉर्ड 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए अटल दो बार राज्यसभा के भी सदस्य रहे थे। किशोरावस्था में ही उन्होंने राष्ट्रीय संवयंसेवक संघ ज्वाइन कर लिया था। 1951 में जनसंघ में शामिल होने के बाद उन्होंने 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। पहले चुनाव नें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद अगले लोकसभा चुनाव में वह बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी की सरकार में अटल को विदेश मंत्री बनाया गया। 1980 में वाजपेयी जनता पार्टी से अलग हो गए। 1996 में अटल पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। उन्हें तीन बार देश का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 5 सालों का अपना कार्यकाल पूरा किया था। अटल बिहारी वाजपेयी ने 2005 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।