लोन विवाद मामले में आदेश नहीं मानने पर लंदन कोर्ट ने अरब के प्रिंस को सुनाई एक साल जेल की सजा

लंबे समय से लोन को लेकर चल रहे विवाद मामले में अंग्रेजी कानून की अहवेलना व आदेश न मामले को लेकर सऊदी अरब के एक प्रिंस को जेल की सजा सुनाई गई। लंदन जज ने शुक्रवार को कहा कि, “प्रिंस हुस्सम बिन सऊद बिन अब्दुलजाज अल सऊद को एक साल की जेल होनी चाहिए।” वहीं, प्रिंस कोर्ट की सुनवाई में शामिल नहीं हुए। कहा कि लोन केस की सुनवाई सिर्फ सउदी अरब में होनी चाहिए।

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, इंग्लैंड में अदालत की अवमानना ​​की सजा के पीछे की वजह यह है कि सऊदी के प्रिंस और कुवैती की मोबाइल ऑपरेटर कंपनी जैन के बीच 2010 के एक लोन को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। लंदन में निजी मध्यस्थता में प्रिंस को 500 मिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद यह मध्यस्थता फेल हो गया। इसके साथ ही उन्होंने सऊदी केस को रोकने के लिए ब्रिटिश अदालत के आदेश की अहवेलना करते हुए रियाद में अलग-अलग कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस मामले पर लंदन कोर्ट के जज रिचार्ड जैकोबस ने सुनवाई के दौरान कहा कि, “प्रिंस हुस्सम ने तय कर लिया कि वह किसी भी तरह से ब्रिटिश कोर्ट का सामना नहीं करना चाहते हैं। यदि प्रिंस ब्रिटेन में होते तो उन्हें हर हाल में जेल जाना होता।”

रियाद में प्रिंस हुस्सम के वकील यासिर अलमेसनेद ने मध्यस्थता विवाद को लेकर कहा कि इसका ब्रिटेन से कोई संबंध नहीं है। उन्हाेंने कहा कि, “मध्यस्थता विवाद को लेकर ब्रिटिश कोर्ट द्वारा सुनाया गया फैसला, जिसमें अदालत की अहवेलना की बात कही गई है, वह सऊदी अरब में बेकार है। सऊदी में कार्यवाही के दौरान रियाद अदालत ने प्रिंस हुस्सम के पक्ष में फैसला सुनाया है।” वहीं, जैन मोबाइल दूरसंचार कंपनी के वकील थॉमस राफेल ने प्रिंस को जेल भेजने के लिए आवेदन दिया है। उन्होंने तर्क दिया किए “ब्रिटेन में हुई निजी मध्यस्थता सुनवाई के दौरान प्रिंस ने लगातार कोर्ट की अहवेलना की। कोर्ट को उनके उपर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए।”

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