रहने लायक जगहों में देश में सबसे बदतर है यूपी का रामपुर! इस दाग के पीछे यह हैं 5 बड़ी वजहें
उत्तर प्रदेश के रामपुर का नाम ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2018’ में सबसे आखिरी पायदान पर आने से शहर की किरकिरी तो हो ही रही है, सवाल शासन-प्रशासन पर पर उठ रहे हैं। बीते सोमवार (13 अगस्त) को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने रहने लायक शहरों की एक सूची ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2018’ जारी की। रामपुर आखिरी और 111वें स्थान पर रहा। इसके पीछे पांच बड़ी वजहें मानी जा रही हैं। 1. शहर में गंदगी का अंबार: टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक शहर की आबादी करीब सवा तीन लाख की है और रोजाना 165 मीट्रिक टन कूड़ा लोगों के घरों से निकलता है, जिसे घाटमपुर गांव के मैदान में डंप किया जाता है। कूड़े के लिए कोई वेस्ट मैनेजमेंट नहीं है। कूड़े के ढेर और बजबजाती सीवर की लाइनें हर तरफ दिखाई देती हैं, यहां तक कि बस अड्डा, रेलवे स्टेशन और जिला अस्पताल के बाहर भी।शहरवासियों से कूड़े से बिजली बनाने का वादा किया गया था लेकिन वह हकीकत नहीं हो पाया। 1991 के सरकारी आदेश के मुताबिक हर 10 हजार की आबादी पर 28 सफाईकर्मी होने चाहिए। कुल 355 परमानेंट सफाईकर्मियों की जगहों पर 199 काम कर रहे हैं, संविदा पर 170 सफाई कर्मी हैं, जबकि 534 सफाईकर्मियों की जरूरत है। 43 वार्डों में से 21 के लिए सफाईकर्मी आउटसोर्स किए गए हैं।
2. अस्पताल ही बीमार हैं: जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 4000 से ज्यादा मरीज देखे जाते हैं। 27 पदों पर 13 डॉक्टर हैं। फिजिशियन समेत कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट और नाक, कान, गला के लिए कोई स्पेशलिस्ट नहीं है। महिला वार्ड में अक्सर एक बेड पर दो मरीज देखी जाती हैं। गंभीर मरीजों को मेरठ और अलीगढ़ के मेडीकल कॉलेज में रेफर किया जाता है। किसी भी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में एमआरआई मशीन नहीं है।
3. कैसे पढ़ें, कैसे बढ़ें बच्चे: टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक लोहा के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में एक स्टूडेंट को क्लाररूम की सफाई करते हुए पाया गया। स्कूल की प्रधानाचार्या का कहना है कि सफाईकर्मियों के अनुपस्थित होने पर बच्चे कक्षाओं की सफाई करते हैं।
4. एक भी सिटी बस नहीं है। टैंपो और ऑटो हैं लेकिन नाकाफी हैं, हर एक 50 से कम है। करीब 350 ई-रिक्शा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। शहर में सीएनजी वाले टैंपो चलाने की बात की गई थी लेकिन वे हैं नहीं।
5. रोजाना 5-6 घंटे बिजली की कटौती है। बिजली चोरी भी आम है। 35 करोड़ रुपयों के बिल भुजतान के लिए अटके पड़े हैं। जमीन के अंदर से बिजली की लाइन बिछाई जा रही है लेकिन पिछले 6 महीनों में स्थानीय लोगों के द्वारा कामकाज ठप्प करने के 10 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। 14 अप्रैल से अब तक 478 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और 15.57 लाख रुपये बतौर जुर्माना इकट्ठा किए गए हैं। फिलहाल प्रशासन दावा कर रहा है कि सुधारों के साथ 50 शहरों में रामपुर अपना नाम दर्ज कराएगा।