अटल जी अब नहीं रहे ये मन नहीं मानता। अटल जी, मेरी आंखों के सामने हैं और स्थिर हैं। पीएम मोदी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का गुरुवार (16 अगस्त) को दिल्ली एम्स में 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लाग में लिखा कि, “मेरा मन मानने को तैयार नहीं है कि अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अाखिर मानूं तो कैसे मानूं, उनकी आवाज अभी भी मेरे अंदर गूंज रही है। खुद को बार-बार यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा हूं। आंखों में जलन सी हो रही है। उन्होंने लीक से हटकर जीवन में नए रास्ते बनाए। उनके अंदर आंधियों में भी दीये जलाने की क्षमता थी। देश ने उन्हें राष्ट्र सम्मान दिया, लेकिन वे किसी भी सम्मान से उपर थे। उनका कहना था, ‘हम केवल अपने लिए न जीएं औरों के लिए भी जीएं।’ हमें भी अटल जी के सपनों को पूरा करना है। उनके सपनों का भारत बनाना है।”
कैसे मान लूं कि अटल जी अब नहीं रहे: पीएम मोदी ने लिखा कि, “अटल जी अब नहीं रहे। मन नहीं मानता। अटल जी, मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से, मुस्कराते हुए मुझे अंकवार में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटल जी की ये स्थिरता मुझे झकझोर रही है, अस्थिर कर रही है। एक जलन सी है आंखों में, कुछ कहना है, बहुत कुछ कहना है लेकिन कह नहीं पा रहा। मैं खुद को बार-बार यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं, लेकिन ये विचार आते ही खुद को इस विचार से दूर कर रहा हूं। क्या अटल जी वाकई नहीं हैं? नहीं। मैं उनकी आवाज अपने भीतर गूंजते हुए महसूस कर रहा हूं, कैसे कह दूं, कैसे मान लूं, वे अब नहीं हैं। वे पंचतत्व हैं। वे आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, सबमें व्याप्त हैं, वेअटल हैं, वे अब भी हैं।”
कभी सोंचा नहीं था कि अटल जी के लिए इस तरह से लिखना पड़ेगा: नरेंद्र मोदी लिखते हैं, “जब उनसे पहली बार मिला था, उसकी स्मृति ऐसी है जैसे कल की ही बात हो। इतने बड़े नेता, इतने बड़े विद्वान। लगता था जैसे शीशे के उस पार की दुनिया से निकलकर कोई सामने आ गया है। जिसका इतना नाम सुना था, जिसको इतना पढ़ा था, जिससे बिना मिले, इतना कुछ सीखा था, वो मेरे सामने था। जब पहली बार उनके मुंह से मेरा नाम निकला तो लगा, पाने के लिए बस इतना ही बहुत है। बहुत दिनों तक मेरा नाम लेती हुई उनकी वह आवाज मेरे कानों से टकराती रही। मैं कैसे मान लूं कि वह आवाज अब चली गई है। कभी सोचा नहीं था, कि अटल जी के बारे में ऐसा लिखने के लिए कलम उठानी पड़ेगी। देश और दुनिया अटल जी को एक स्टेट्समैन, धारा प्रवाह वक्ता, संवेदनशील कवि, विचारवान लेखक, धारदार पत्रकार और विजनरी जननेता के तौर पर जानती है। लेकिन मेरे लिए उनका स्थान इससे भी ऊपर का था। सिर्फ इसलिए नहीं कि मुझे उनके साथ बरसों तक काम करने का अवसर मिला, बल्कि मेरे जीवन, मेरी सोच, मेरे आदर्शों-मूल्यों पर जो छाप उन्होंने छोड़ी, जो विश्वास उन्होंने मुझ पर किया, उसने मुझे गढ़ा है, हर स्थिति में अटल रहना सिखाया है। हमारे देश में अनेक ऋषि, मुनि, संत आत्माओं ने जन्म लिया है। देश की आज़ादी से लेकर आज तक की विकास यात्रा के लिए भी असंख्य लोगों ने अपना जीवन समर्पित किया है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिए अटल जी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है।”