सरकारी पैनल की रिपोर्ट: एनडीए के शुरुआती 4 सालों के मुकाबले यूपीए में तेजी से बढ़ी देश की जीडीपी
भारत की आर्थिक वृद्धि दर यूपीए सरकार के कार्यकाल 2004-05 और 2013-14 के बीच तेजी से बढ़ी। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के शुरुआती चार साल के कार्यकाल से इसकी तुलना करें तब भी यह ज्यादा बैठती है। एक कमेटी, जिसने भारत के डेटा संग्रह प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों की सिफारिश की थी, उसकी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक यूपीए के पहले टर्म (2004-5 से 2008-09) में औसत आर्थिक विकास दर 8.87 फीसदी थी जो यूपीए के ही दूसरे कार्यकाल (2009-10 से 2013-14) में गिरकर 7.39 फीसदी तक आ गई। इसके विपरीत अगर एनडीए सरकार के शुरुआती चार साल (2014-15 से 2017-18)) की आर्थिक वृद्धि दर की बात करें तो यह 7.35 फीसदी बैठती है, जो यूपीए के शुरुआती चार सालों की वृद्धि दर से कम है।
यह आंकड़ा रियल सेक्टर सांख्यिकी (RSS) पर समिति की एक रिपोर्ट में सामने आया था। इसे हाल ही में ही राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सामने पेश किया गया था। इसके आकंड़ों के मुताबिक भारत की वृद्धि दर सिर्फ एक बार दहाई के अंक तक पहुंच पाई और ये साल था 2006-07 और आर्थिक वृद्धि दर थी 10.08 फीसदी। हालांकि 2008-09 में यह गिरकर 7.16 फीसदी पर आ गई। इसका एक कारण 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट को भी माना जाता है, जिसका प्रभाव पूरी दुनिया की आर्थिक मार्केट और अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए सरकार के आखिरी दो सालों में आर्थिक विकास दर गिरकर 5.42 और 6.5 फीसदी तक आ गई। ये साल थे 2012-13 और 2013-14। रिपोर्ट के बाद कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘जीडीपी श्रृंखला पर आधारित आंकड़ा आखिर आ गया है। यह साबित करता है कि यूपीए शासन के दौरान (10 साल में औसतन 8.1 प्रतिशत) की वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर (7.3 प्रतिशत) से अधिक रही।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘यूपीए सरकार के शासन में ही वृद्धि दर दहाई अंक में रही जो आधुनिक भारत के इतिहास में एकमात्र उदाहरण है।’’ आजादी के बाद देखा जाए तो सर्वाधिक 10.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर 1988-89 में रही। उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित ‘कमेटी आफ रीयल सेक्टर स्टैटिक्स’ ने पिछली श्रृंखला (2004-05) के आधार पर जीडीपी आंकड़ा तैयार किया था।