अरविंद केजरीवाल सरकार ने नौकरी के नाम पर खर्च किए करोड़ों रुपये, रोजगार मिला सिर्फ 344 को
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के रोजगार विभाग ने तीन साल में सिर्फ 344 बेरोजगारों को नौकरी दिलाई है। यह तथ्य सामने आया है विधानसभा में विभागाध्यक्ष के जवाब से। मॉनसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने रोजगार कार्यालय में हुए पंजीयन और नौकरियों की जानकारी आम आदमी पार्टी सरकार के रोजगार मंत्री से मांगी थी। अपने लिखित जवाब में विभाग के अध्यक्ष ने कहा है कि 2015 में 176, 2016 में 102 और 2017 में 66 बेरोजगारों को नौकरियां दी गईं। जवाब में यह भी बताया गया कि उन्हें किस विभाग और पद में नौकरी दी गई है। विभागाध्यक्ष के जवाब में यह भी सामने आया कि आप सरकार के कार्यकाल में रोजगार विभाग ने कुल 21.53 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
राजधानी के पांच रोजगार कार्यालयों में कुल 2.87 लाख नागरिकों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से आठ हजार नाम नियोक्ताओं को भेजे गए। जिन 344 को नौकरियां मिलीं, उनमें से आधे (177) कंडक्टर, वॉटरमैन और टेम्प्रेपरी वॉटरमैन पद पर नियुक्त हुए। विभाग ने इन तीन साल में 7 रोजगार मेले लगाए। दावा है कि इनमें 357 कंपनियां आईं। इन कंपनियों ने 78 हजार आवेदकों में से 30,680 को शॉर्टलिस्ट किया, मगर कितनों को नौकरी मिली, इसका जवाब विभाग के पास नहीं है। सरकार ने इन मेलों के आयोजन पर 33.11 लाख रुपये खर्च किए हैं।
विधायक आदर्श शास्त्री ने नए रोजगार पैदा करने को लेकर सरकार की कार्ययोजना जानने को सवाल पूछा था। जिसके जवाब में रोजगार विभाग के सचिव ने कहा है कि इसका जिम्मा उनके विभाग का नहीं है। 21 अगस्त को, ‘इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी’ (आईआईआईटी) के दिल्ली परिसर के दूसरे चरण के उद्घाटन समारोह में केजरीवाल ने कहा था, ”दिल्ली में उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी है। प्रतिवर्ष लगभग 2.5 छात्र 12वीं उत्तीर्ण करते हैं और हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों की क्षमता मात्र 1.25 लाख छात्रों की है। यह क्षमता बहुत कम है जिसमें टापर तक असहाय महसूस करते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है और हम इसका समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं।”