तीन महीने बाद दफ्तर पहुंचे अरुण जेटली, मिलने वालों को जूते ढंक कर जाना होगा
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का कार्यभार आज (23 अगस्त) एकबार फिर से संभाल लिया। गुर्दा प्रतिरोपण के लिए लगभग 100 दिनों तक कामकाज से दूर रहने के बाद उन्होंने वापस वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला और अधिकारियों के साथ बैठक की। पैंसठ वर्षीय जेटली अप्रैल की शुरुआत से ही मंत्रालय नहीं आ रहे थे। 14 मई को उनके गुर्दे का प्रतिरोपण किया गया। इस दौरान वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार पीयूष गोयल को सौंपा गया था। जेटली आज सुबह 11 बजे अपनी सफेद टाटा सफारी से वित्त मंत्रालय के दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे। उनके साथ उनके निजी कर्मचारी भी थे।
साधारण पैंट-शर्ट और नेहरू जैकेट पहने जेटली सीधे नॉर्थ ब्लॉक के प्रथम तल पर स्थित अपने कार्यालय में पहुंचे। उनके मौजूदा स्वास्थ्य को देखते हुए उनके कार्यालय का नवीनीकरण किया गया है। साथ ही स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा गया है। मंत्रालय के अधिकारियों और उनके उप मंत्रियों ने जेटली का स्वागत किया। सूत्रों ने बताया कि चिकित्सकों से अनुमति मिलने के बाद ही जेटली काम पर लौटे हैं। हालांकि उन्हें कम से कम लोगों से मिलने और सार्वजनिक तौर पर कम उपस्थित रहने की सलाह दी गई है ताकि किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षा हो सके। जेटली के कमरे में सीमित लोगों को ही आने-जाने की अनुमति होगी। उनसे मिलने के लिए आने वाले आगंतुकों को अपने जूतों को ढकना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें अपने जूतों में नीले रंग का मेडिकेटेड बैग लगाना पड़ेगा। इसका इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाता है।
जेटली ने अपने दोनों मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। इनमें वित्त सचिव हसमुख अधिया के साथ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन शामिल रहे। इससे पहले आज एक अधिसूचना में कहा गया, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने, प्रधानमंत्री की सलाह पर, वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का विभाग फिर से अरूण जेटली को सौंपने का निर्देश दिया है।’’गत 14 मई को उनका किडनी प्रतिरोपण हुआ था और उसी दिन उनके मंत्रालयों का प्रभार अंतरिम तौर पर गोयल को सौंपा गया था। गोयल के पास रेल मंत्रालय और कोयला मंत्रालय भी है। सर्जरी के बाद से, चिकित्सकों की सलाह पर वह कामकाज से दूर थे। हालांकि इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में बिना विभाग के मंत्री थे।
हालांकि इस अवधि में वह बीच-बीच में सोशल मीडिया पर नजर आए थे। इनमें असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, आपातकाल के चार दशक, संसद में अविश्वास प्रस्ताव, राफेल जेट विमान सौदा, माल एवं सेवाकर और जीडीपी के आंकड़ों की पिछली कड़ियों जैसे मुद्दों पर सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखकर लोगों से रूबरू हुए और सरकार का पक्ष रखा। वहीं जीएसटी की पहली वर्षगांठ और बैंकिंग सम्मेलन के दौरान वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से संबोधन भी दिया। हालांकि उन्होंने नौ अगस्त को राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए हुए चुनाव में हिस्सा लिया था। तब वह 14 मई के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए थे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद आयोजित प्रार्थना सभा में भी उन्होंने हिस्सा लिया था।