VIRAL VIDEO नवरात्रि 2017: व्रत में साबूदाना खाने से पहले उसकी हकीकत जान लीजिए
ये नवरात्र का महीना है। श्रद्धालु इन 9 दिनों में पूरी तरह से शाकाहारी हो जाते हैं। ऐसे में खाने-पीने को लेकर विशेष ध्यान रखा जाता है। बाजार में भी इन दिनों कई शाकाहारी खाद्य और पेय पदार्थों की भरमार लग जाती है। नवरात्र में साबूदाना भी श्रद्धालुओं द्वारा खूब खाया जाता है लेकिन यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि साबूदाना आखिर बनता कैसे है। साबूदाना के बनाए जाने की प्रक्रिया जानकर आप हैरान हो सकते हैं।
साबूदाना सागा नाम के पेड़ से बनाया जाता है। सागा की जड़ें काफी मोटी-मोटी गूदा युक्त होती हैं और यही गूदा साबूदाना बनाने के काम आता है। ऐसा हो सकता है कि आपने सागा पेड़ के बारे में आजतक नहीं सुना हो। इसकी वजह यह हो सकती है कि सागा दक्षिण भारत राज्यों में ज्यादा उगता है। केरल के लोग सागा को कप्पा कहते हैं। यहां तक की जानकारी तो काफी बेसिक है लेकिन इसके आगे की इसे बनाए जाने की प्रक्रिया चौंकाने वाली है।
सागा की जड़ों को फैक्ट्रियों में ले जाने पर सबसे पहले उसके छिलके निकाल लिए जाते हैं। इसके बाद जड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है। इन टुकड़ों को पानी में डालकर टैंको में कई दिनों के लिए खुला ही छोड़ दिया जाता है। बिना किसी सुरक्षा के खुले में सागा की जड़े रखने पर अक्सर उनमें कीड़े लग जाते हैं, जिससे वह सड़ जाता है। साबूदाना बनाने की प्रक्रिया का वीडियो देखने के बाद आप इसे खाने से पहले सौ बार सोचेंगे।
साबूदाने की चमकदार गोलियों के पीछे सागा की सड़ी-गली जड़ें होती हैं। यहां तक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टैकों से इसे निकाल लिया जाता है और मशीनों से इसे पालिश किया जाता है। पालिश होने के बाद सागा की जड़ों के ये टुकड़े असली साबूदाना का रूप धारण कर लेती हैं। अब इन साबूदानों को बोरों या अन्य पैकेट्स में पैक करके पूरे देश में सप्लाई किया जाता है। एक और बात आपको जाननी चाहिए कि साबूदाना बनता जरूर दक्षिण भारत के राज्यों में है लेकिन सबसे ज्यादा खाया जाता उत्तर भारत राज्यों में है।