Train 18: घूमने वाली सीट, माड्यूलर शौचालय, 160 किमी/घंटे की रफ्तार, सितंबर से शुरू होगा ट्रायल

भारतीय रेल देश में निर्मित बहुप्रतीक्षित सेमी हाईस्पीड ‘ट्रेन 18’ का परीक्षण सितंबर से शुरू करेगी। रेल मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, अगर परीक्षण सफल होता है तो ‘ट्रेन 18’ को सितंबर से शुरू भी किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि ट्रेन रेल के बेड़े में परीक्षण के बाद ही शामिल की जाएगी। भारतीय रेल के तकनीकी सलाहकार अनुसंधान डिजाइन व मानक संगठन (आरडीएसओ) इसका परीक्षण करेगा और ट्रेन को मान्यता देगा। इससे पहले ‘ट्रेन 18’ के जुलाई में शुरू होने वाली थी।

‘ट्रेन 18’ चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा बनाया गया है। यह 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ‘ट्रेन 18’ मौजूदा शताब्दी एक्सप्रेस के बेड़े के ट्रेनों की जगह लेगी। उन्होंने कहा कि आईसीएफ इस तरह के छह ट्रेनों का सेट तैयार करेगी, जिसमें से दो में शयनयान कोच होंगे। नई ट्रेन में यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए कुछ विशेषताएं हैं, इसमें आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया गया है।

मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा इस ट्रेन को बनाया गया है। ट्रेन 18 में मेट्रो ट्रेनों की तरह दोनों तरफ ड्राइविंग कैब्स होंगी। इसमें इंजन नहीं होगा, बल्कि मेट्रो की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की तरह यह ट्रेन चलेगी। इस ट्रेन की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे की होगी।

यह ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित होगी और इसमें 16 चेयर कार डिब्बे होंगे। 16 कोचों में से 2 कोच एक्जीक्यूटिव क्लास के होंगे और बाकी 14 कोच नॉन-एक्जीक्यूटिव क्लास के होंगे। एक्जीक्यूटिव क्लास में करीब 56 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी, तो वहीं नॉन-एक्जीक्यूटिव क्लास में 78 यात्रियों के बैठने की। ट्रेन 18 के डिब्बों में ऑटोमेटिक एंट्री और एक्जिट डोर होंगे। ट्रेन 18 में इंटर-कनेक्टेड पूरी तरह से बंद गैंगवे, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, वाई-फाई और इंफोटेमेंट जैसी सुविधाएं होंगी। इसके अलावा जैव-वैक्यूम प्रणाली, माड्यूलर शौचालय व घूमने वाली सीटें भी इन सुविधाओं में शामिल हैं।

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