बीजेपी सरकार ने अफसरों के जींस और चश्मा पहनने पर लगाई रोक, कहा- ड्रेस कोड का करें पालन
Debraj Deb
त्रिपुरा की सत्ताधारी भाजपा-आईपीएफटी की गठबंधन सरकार ने एक ज्ञापन जारी कर अधिकारियों के अधिकारिक ड्यूटी के दौरान जींस, चश्मे आदि पहनने पर रोक लगा दी है। वहीं सरकार के इस आदेश की खूब आलोचना भी हो रही है। विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और सीपीएम ने इसे सरकार की ‘सामंती मानसिकता’ करार दिया है। बता दें कि यह ज्ञापन मुख्य सचिव सुशील कुमार ने जारी किया है और अफसरों को राज्य स्तरीय अधिकारिक बैठकों में ड्रेस कोड का पालन करने को कहा है। ज्ञापन के अनुसार, “जिलाधिकारी, एडीएम को जिले के प्रमुख अधिकारी होने के नाते यह सुनिश्चित करें की जरुरत है कि राज्य स्तरीय अधिकारिक बैठकों में, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मंत्री और मुख्य सचिव करें और अन्य उच्च स्तरीय बैठकों में ड्रेस कोड का पालन करें।”
बता दें कि यह ज्ञापन बीती 20 अगस्त को जारी किया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि ‘अधिकारी बैठकों के दौरान कैजुअल कपड़े जैसे जींस, कार्गो पैंट्स आदि ना पहनें।’ ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कुछ अधिकारी बैठकों के दौरान मोबाइल फोन से मैसेज भेजने और पढ़ने में भी व्यस्त रहते हैं, जो कि ‘अनादर’ का प्रतीक है। बता दें कि त्रिपुरा की पिछली माणिक सरकार के दौरान भी अधिकारियों को जेब में हाथ बाहर रखने के निर्देश दिए गए थे। बता दें कि साल 2015 में पीएम मोदी के छत्तीसगढ़ में बस्तर दौरे के दौरान भी ऐसा कुछ घटा था, जिसके बाद नौकरशाहों के ड्रेस कोड को लेकर चर्चाएं शुरु हो गई थीं। दरअसल बस्तर के तत्कालीन डीएम ने पीएम मोदी का स्वागत चेक की शर्ट पहने हुए और चश्मे लगाकर किया था। जिस पर कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की थी।
वहीं अधिकारियों के लिए जारी किए गए इन नियमों पर विपक्षी पार्टियों ने सत्ताधारी भाजपा-आईपीएफटी सरकार को निशाने पर ले लिया है। त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष तापस डे के अनुसार, यह आदेश सरकार की सामंती मानसिकता दर्शाता है। डे का कहना है कि सरकार जमीनी दिक्कतों को अनदेखा कर बेकार के मुद्दे उछाल रही है, ताकि अपनी नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाया जाए। सीपीएम प्रवक्ता गौतम दास का कहना है कि यह आदेश ब्रिटिशराज की याद दिलाता है। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। ये लोग ऐसा आदेश कैसे दे सकते हैं? जिसमें लोगों को यह बताया जाए कि वह क्या पहने क्या नहीं?