चुनाव आयोग के साथ विपक्षी दलों ने उठाई मांग, बैलट पेपर से कराया जाए 2019 का आम चुनाव

चुनाव आयोग के साथ सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने एक सुर में मांग की कि 2019 के आम चुनाव मतपत्रों (बैलट पेपर) से ही कराए जाएं। विपक्षी दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी की तमाम शिकायतों का हवाला देते हुए इसके जरिए चुनाव प्रक्रिया के त्रुटिरहित होने पर शंका जताई। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को लिखित ज्ञापन सौंपा। बैठक में मुख्य चुनाव आयोग ओमप्रकाश रावत ने इन पार्टियों को आश्वस्त किया कि ईवीएम में गड़बड़ी संबंधी तमाम राजनीतिक दलों की चिंताओं का चुनाव आयोग ने गंभीरतापूर्वक संज्ञान लिया है और आम चुनाव से पहले निराकरण करेगा। मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग का भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने पूरी तरह विरोध किया।

बैठक में सभी सात राष्ट्रीय और 51 राज्य स्तरीय मान्यताप्राप्त दलों के 41 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। देश में एक साथ चुनाव कराने से लेकर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की गई। राजनीतिक दलों ने मांग की कि उम्मीदवारों की चुनाव खर्च सीमा का नियम बनाने की जगह राजनीतिक दलों की खर्च सीमा तय की जाए। हालांकि, भाजपा व सहयोगी दलों ने विपक्ष की इस मांग का भी विरोध किया। ईवीएम के साथ छेड़छाड़ से लेकर वीवीपैट की समस्याओं को कई राजनीतिक दलों ने उठाया। जिन राजनीतिक दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए मतपत्रों से चुनाव की मांग उठाई, वे हैं- नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (सेकु), वाममोर्चा की कुछ पार्टियां व राष्ट्रीय लोकदल। कांग्रेस ने कहा कि ईवीएम को एकबारगी पूरी तरह हटाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में चुनाव आयोग ईवीएम के 30 फीसद नतीजों का मिलान पेपर ट्रेल से करने का नियम बना दे।

कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं का मानना था कि ईवीएम से छेड़छाड़ कर सत्ता पक्ष अपने हक में मतदान करवा सकता है। आरोप था कि छेड़छाड़ कर ईवीएम को इस तरह सेट किया जा सकता है, जिसमें मतदाता किसी भी बटन को दबाए, लेकिन वोट सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को ही जाएगा। हालांकि, चुनाव आयोग बार-बार कह चुका है कि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती। मशीन का कोड पूरी तरह से एमबेडिड है, उसे न तो निकाला जा सकता है और न ही डाला जा सकता है। बैठक में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पेड न्यूज, आचार संहिता का उल्लंघन, भड़काऊ भाषण आदि प्रमुख मुद्दे रहे। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कांग्रेस के सुझाव का जिक्र करते हुए बैठक के बाद बताया, ‘कुछ दलों का कहना था कि मतपत्र पर वापस लौटना अच्छा नहीं होगा, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ‘बूथ कैप्चरिंग’ का दौर वापस आए।’ रावत ने स्पष्ट किया कि सभी दलों की ईवीएम, वीवीपैट और अन्य मसलों से जुड़ी सभी चिंताओं पर आयोग समग्र नजरिया अपनाते हुए संतोषजनक हल प्रदान करेगा। इस बैठक के प्रमुख नतीजों के बारे में उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रक्रिया को विश्वसनीय और बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक सुझाव दिए हैं। आयोग इन पर विस्तार से विचार कर इन्हें प्रभावी तौर पर लागू करने की दिशा में सभी जरूरी कदम उठाएगा।

बैठक में ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे को लेकर रावत ने कहा, ‘कुछ दलों ने यह मुद्दा उठाया और कुछ दलों ने विरोध किया है। आयोग की तरफ से इस मामले में बहुत कुछ कहा जा चुका है। इस मामले में अच्छी बहस चल रही है।’ उन्होंने बताया कि कुछ दलों ने प्रत्याशियों की तरह राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च की भी सीमा तय करने का सुझाव दिया। इस दिशा में कानूनी पहल करने के बारे में आयोग विचार करेगा। बैठक के बाद सपा के रामगोपाल यादव ने बताया कि हमारी पार्टी ने भी मतपत्र से चुनाव कराने की तरफदारी की है। लेकिन मैं यह जानता हूं कि आयोग यह मांग नहीं मानेगा। इसलिए हमने सुझाव भी दिया है कि जिस मतदान केंद्र पर प्रत्याशी या उसके एजंट को ईवीएम पर शक हो, उसके मतों का मिलान वीवीपैट मशीन की पर्ची से अनिवार्य किया जाना चाहिए।’ भाकपा के अतुल कुमार अनजान ने बताया कि उन्होंने बैठक में भाजपा और तेदेपा सहित सिर्फ तीन दलों ने ईवीएम के बजाय मतपत्र से मतदान कराने की मांग का विरोध किया।

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