जेएनयू छात्र संघ चुनाव का बिगुल बजा, इस दिन भरे जाएंगे नामांकन पत्र, 14 सितंबर को मतदान

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के बाद अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी छात्र संघ चुनाव का डंका बज गया है। चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा मंगलवार को होगी। चुनाव की बागडोर सेंटर फोर पर्शियन एंड सेंट्रल एशिया स्टडीज (सीपी एंड सीएएस) के छात्र हिमांशु कुलश्रेष्ठ को सौंपी गई है। जेएनयू छात्र संघ का चुनाव डीयू या देश के अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों से कई मान्यों में अलग होता है। जेएनयू में चुनाव पूरी तरह लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर होता है और उसकी अवेहलना कहीं नहीं की जाती है। यहां चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से छात्रों द्वारा की आयोजित की जाती है। इसके लिए सभी सेंटर के छात्रों की एक चुनाव समिति गठित की जाती है जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सहित 18 लोग होते हैं। इसके अलावा इनकी मदद के लिए बहुत सारे स्वयंसेवक भी होते हैं। इस बने मुख्य चुनाव आयुक्त हिमांशु स्नातकोत्तर के द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने इसी सेंटर से स्नातक भी किया है। हिमांशु का कहना है कि वह और उनकी टीम चुनावों में पूरी पारदर्शिता बरतेगी और चुनाव निष्पक्ष रूप से संपन्न कराए जाएंगे। हिमांशु ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया से लेकर चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप सभी की सहमति से दिया जाता है। इसके लिए सभी छात्र संगठनों की एक बैठक बुलाई जाती है जिसकी अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त करते हैं। हिमांशु ने बताया कि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि को अंतिम रूप से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की सूची जारी की जाती है। इस दौरान अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को मीडिया से सामने लाया जाता है, जहां वे अपनी बातें मीडिया के लोगों के सामने रखते हैं।

अध्यक्षीय परिचर्चा : जेएनयू छात्र संघ चुनाव का सबसे बड़ा आकर्षण होता है मतदान से पहले होने वाली अध्यक्षीय परिचर्चा। इस परिचर्चा में अध्यक्ष पद के लिए खड़े सभी उम्मीदवार शामिल होते हैं। इस दौरान वे परिसर के मुद्दों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक की चर्चा करते हैं। इतना ही नहीं, अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों को छात्रों और अन्य पदों के उम्मीदवारों के सवालों का सामना भी करना पड़ता है। इस परिचर्चा को देखने और सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में छात्र जुटते हैं। पूरी रात होने वाली इस परिचर्चा के दौरान छात्र अपने-अपने संगठन के उम्मीदवार का उत्साह बढ़ाने के लिए ढपली और शंख बजाते हैं।

मशाल जुलूस : सभी छात्र संगठन छात्रों का समर्थन हासिल करने के लिए मशाल जुलूस का आयोजन करते हैं। इसकी इजाजत चुनाव समिति देती है। इस दौरान छात्र संगठनों के समर्थक हाथों में मशाल लेकर जुलूस निकालते हैं और लगातार नारेबाजी करते हैं। जेएनयू में लगने वाले नारे भी अन्य विश्वविद्यालयों के नारों के मुकाबले बिल्कुल अलग होते हैं।

हाथ से लिखे पोस्टर : जेएनयू परिसर में आज भी हाथ से बने पोस्टर आसानी से देखे जा सकते हैं। अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों के उलट यहां पर छोटे पर्चों का इस्तेमाल होता है और प्रत्याशी व्यक्तिगत रूप से हर छात्र तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा मतदान वाले दिन, मतदान केंद्रों के बाहर सभी उम्मीदवार और उनके समर्थक वोट मांगते हैं। यह नजारा देखने लायक होता है।

डूसू चुनाव समिति से मिला एबीवीपी का प्रतिनिधिमंडल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की चुनावी समिति से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने समिति के सामने सभी कॉलेजों में डेमोक्रेसी वॉल बनाने और कॉलेज छात्र संघ व डूसू चुनाव साथ कराने जैसे सुझाव रखे। एबीवीपी की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने कहा कि एक जागरूक छात्र संगठन के रूप में हमने अपने सुझाव चुनाव समिति के सामने रखे हैं।

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की ‘उत्कृष्ट संस्थान’ योजना के अंतर्गत लाने के लिए संघर्ष करेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव का घोषणा पत्र जारी करते हुए एनएसयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान ने यह एलान किया। इस मौके पर एनएसयूआइ की राष्ट्रीय प्रभारी रुचि गुप्ता भी मौजूद थीं। फिरोज ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अभी छह उत्कृष्ट संस्थानों की घोषणा हुई है, जिनमें से तीन सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान हैं। डीयू ने भी इस श्रेणी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे इस श्रेणी में शामिल नहीं किया गया। एनएसयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हम इसके लिए संघर्ष करेंगे क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के उत्कृष्ट संस्थानों को सरकार की ओर से 1000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे, जिससे पुस्तकालय, वाई-फाई व शोध आदि की सुविधाओं का विकास हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अगर डीयू को 1000 करोड़ रुपए मिलते हैं तो हर कॉलेज को करीब आठ करोड़ रुपए मिलेंगे और हर छात्र के हिस्से में 75000 रुपए अतिरिक्त आएंगे। इसके अलावा एनएसयूआइ ने सभी कॉलेजों में फीस कम करने, डीयू में खाली जमीन पर छात्रावासों का निर्माण, मेट्रो व डीटीसी बसों में रियायती पास, छात्र अधिकार आयोग, खिलाड़ी छात्रों के लिए आहार दर में वृद्धि, डीयू के छात्रों के लिए मांग के आधार पर मुफ्त लैपटॉप वितरण आदि के लिए संघर्ष करने की बात कही है।

एनएसयूआइ ने डूसू चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हुए डूसू में अपनी पिछले साल की उपलब्धियां भी गिनवार्इं। फिरोज ने कहा कि 2016 में एबीवीपी ने डूसू में जहां 22 लाख रुपए चाय पर खर्च किए थे, वहीं हमने चाय पर सिर्फ 22 रुपए खर्च किए। उन्होंने कहा कि हमने छात्र के बजट को छात्रों के ऊपर ही खर्च किया है। इसके अलावा उन्होंने हिंसामुक्त शांतिपूर्ण परिसर, 32 कॉलेजों में सैनिटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन लगवाना, 2020 तक मेट्रो का किराया नहीं बढ़ने देने का आश्वासन लेना आदि भी उपलब्धियां भी गिनार्इं।

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