चुनावी खर्च की लिमिट तय करने के पक्ष में ज्यादातर दल, पर भाजपा नहीं

चुनावी खर्च की सीमा तय करने के मसले पर सोमवार (27 अगस्त) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनाव आयोग (ईसी) की बैठक में अलग-थलग नजर आई। देश के ज्यादातर राजनीतिक दल जहां चुनावी खर्च की सीमा तय करने के पक्ष में दिखे। वहीं, बीजेपी इसके समर्थन में नहीं थी। इस दौरान जनता दल (यूनाइटेड), शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दल भी चुनावी खर्च नियंत्रित करने के पक्ष में दिखे। बीजेपी ने कहा कि राजनीतिक दल एजेंडा के तहत अभियान चलाते हैं, जो कि विजन डॉक्यूमेंट्स पर आधारित होते हैं। ईसी को चुनावी खर्च की सीमा तय करने के बजाय पारदर्शिता बढ़ाने के मुद्दे पर जोर देना चाहिए।

आपको बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। उसी की तैयारियों के लिहाज से ईसी ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके लिए देश की सात राष्ट्रीय और 51 क्षेत्रीय पार्टियों को न्यौता भेजा गया था। बैठक के दौरान चुनावी खर्च पर नियंत्रण करने, विधान परिषद के चुनावों के खर्च की सीमा तय करने और राजनीतिक दलों का खर्च सीमित करने के मुद्दे पर बातचीत हुई।

बीजेपी की तरफ से कहा गया, “अगर चुनावी खर्च को सीमित किया गया, तो यह जातिगत और व्यक्ति विशेष वाली राजीनीति को बढ़ावा देगा। ऐसे में आयोग चुनावी खर्च सीमित करने के बजाय पारदर्शिता बेहतर करने पर विचार करे।” बकौल पार्टी, “20 हजार रुपए से अधिक के खर्च के ब्यौरा तो लेखा-जोखा भी मिल जाता है। यह तो उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है कि वह फंडिंग और खर्चों का जिक्र करते हैं या नहीं।”

आगे बीजेपी की तरफ से बताया गया, “कॉरपोरेट, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (एचएनआई) और क्राउड फंडिंग जैसी चीजें राजनीतिक दल के वोटर बेस का परिणाम होती हैं। ऐसे में चुनावी खर्च या पार्टी को मिलने वाली रकम पर सीमा नहीं तय की जानी चाहिए।” मौजूदा समय में पार्टी उम्मीदवारों के लिए चुनाव संबंधी खर्च की सीमा है, मगर राजनीतिक दलों के लिए ऐसा कुछ नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *