…जब जनवरी 2014 में राहुल ने कहा था- शायद 1984 के दंगों में शाम‍िल थे कुछ कांग्रेसी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन दौरे पर कहा था कि 1984 में उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस शामिल नहीं थी। हालांकि, उन्होंने कहा, “यह घटना बेहद पीड़ादायक त्रासदी थी और इस बात से सहमत नहीं है कि कांग्रेस इसमें शामिल थी। इस मामले में कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं और जहां तक मेरा मानना है, उस समय हुई किसी भी गलती के लिए सजा मिलनी चाहिए। मैं इसमें पूरी तरह से शत प्रतिशत समर्थन दूंगा।” इस बयान से राहुल विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। बता दें कि इससे पहले राहुल के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नवंबर 1984 में सिख दंगों पर कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। बोट क्लब में उन्होंने कहा था, “जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी़ तो हमारे देश में कुछ दंगे-फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना गुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।” राजीव के इस बयान को तब दंगों को सही ठहरानेवाला बताया गया था और इसकी खूब आलोचना हुई थी।

हालांकि, राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिसंबर 1999 में सिख दंगों पर खेद प्रकट किया था। उस वक्त सोनिया अमृतसर के स्वर्ण मंदिर गई थीं। उनके साथ पंजाब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष अमरिंदर सिंह भी साथ में थे लेकिन अकाल तख्त ने सोनिया को माथा टेकने नहीं दिया था, तब सोनिया गांधी ने लिखित तौर पर वक्तव्य जारी किया था और सिख दंगों पर गुस्सा और खेद प्रकट किया था। साल 2005 में जब सिख दंगों की जांच कर रही नानावटी आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश गई थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चर्चा के दौरान राज्यसभा में सिख दंगों के लिए माफी मांगी थी। मनमोहन सिंह ने कहा था, “मुझे न केवल सिख समुदाय से बल्कि पूरे देश से फिर माफी मांगने में कोई झिझक नहीं है क्योंकि 1984 में जो कुछ भी हुआ था, वह राष्ट्रीय भावना के खिलाफ था और इसलिए सरकार और राष्ट्र की ओर से मेरा सर शर्म से झुक जाता है।”

राहुल गांधी ने भी साल 2014 के जनवरी में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि शायद कुछ कांग्रेसी लोग इन दंगों में शामिल थे। उन्होंने तब कहा था, “सबसे पहले यह बात जान लीजिए कि मैं उन दंगों में शामिल नहीं था, न ही मैं उन दंगों का कोई हिस्सा हूं। मैं समझता हूं कि दंगा आखिरकार दंगा होता है, बहुत ही पीड़ादायी घटना।” राहुल ने माफी मांगने पर तब कहा था, “यूपीए के प्रधानमंत्री ने माफी मांगी और कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष ने खेद प्रकट किया। मेरी भी ऐसी ही भावना है।”

बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में सिखों के खिलाफ दंगा भड़क उठा था जो बाद में देश के कई इलाकों में फैल गया था। सिख दंगों में हजारों लोग मारे गए थे। नानावटी आयोग ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर, एचकेएल भगत पर उंगली उठाई थी। टाइटलर और सज्जन कुमार के खिलाफ अभी भी कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।

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