राजस्थान: चुनावी राजनीति में राजपरिवार के एक और सदस्य की दस्तक, बीजेपी-कांग्रेस में खलबली
राजस्थान में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। बीजेपी जहां लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है, वहीं कांग्रेस राज्य में वापसी की जुगत में लगी है। इस बीच, प्रदेश के राजघराने की एक और सदस्य विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में हैं। ‘इकोनोमिक टाइम्स’ के अनुसार, जैसलमेर राजघराने की रसेश्वरी राज्यलक्ष्मी चुनाव मैदान में उतरने वाली हैं। वह महरावल ब्रिज राज सिंह की पत्नी हैं। हालांकि, राज्यलक्ष्मी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस दल से जुड़ेंगी। राजस्थान में राजघरानों का स्थानीय लोगों के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है। चुनाव के समीप आने पर राजघराने से जुड़े कुछ और सदस्यों के चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने की संभावना है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की चिंताएं बढ़ गई हैं।
‘दोनों दलों के दरवाजे खुले’: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों दलों (बीजेपी और कांग्रेस) के दरवाजे राज्यलक्ष्मी के लिए खुले हैं। स्थानीय राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि राज्यलक्ष्मी इस क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय हैं। कुछ महीनों में उन्होंने जनता के साथ बेहतर संपर्क बनाए हैं। इतना ही नहीं, वह विभिन्न कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले रही हैं।
बीजेपी-कांग्रेस ने साधी चुप्पी: जैसलमेर राजघराने की सदस्य के चुनावी मैदान में उतरने के मसले पर बीजेपी और कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है। यदि राज्यलक्ष्मी ने कांग्रेस का दामन थामा तो पार्टी के दिग्गज नेताओं जैसे रूपाराम धांडे, सुनीता भाटी, जनक सिंह भाटी और सवाई सिंह पिठला को उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर होना पड़ेगा। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि यदि राज्यलक्ष्मी उनकी पार्टी से जुड़ती हैं तो डॉक्टर जीतेंद्र सिंह, विक्रम सिंह नचना, रेणुका भाटी और जालम सिंह को टिकट की दावेदारी पेश करने से पीछे हटना होगा।
नेपाल के राजघराने से है ताल्लुक: रसेश्वरी राज्यलक्ष्मी का नेपाल के सिसोदिया राणा घराने से ताल्लुक है। उनकी शादी वर्ष 1993 में जैसलमेर राजघराने के ब्रिज राज सिंह से हुई थी। यह कोई पहला मौका नहीं है जब जैसलमेर राजघराने का कोई सदस्य चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेगा। वर्ष 1957 में महाराजा रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए थे। उनके अलावा हुकुम सिंह दो बार (1957-67) विधायक चुने गए थे। ब्रिज राज सिंह के चाचा चंद्रवीर सिंह भी वर्ष 1980 में विधायक निर्वाचित हुए थे। डॉक्टर जीतेंद्र सिंह 1990-93 तक एमएलए रहे थे। इसके बाद से जैसलमेर राजघराने का कोई सदस्य चुनाव नहीं जीत सका है।