किसी को खुश करने के लिये नहीं हुई गिरफ्तारी, हमारे पास हैं पर्याप्त सबूतः कोरेगांव गिरफ्तारी पर बोली महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र सरकार ने कई राज्यों में की गई छापेमारी में पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का बुधवार को बचाव किया। यह कार्रवाई ‘नक्सली गतिविधियों से उनके संबंधों’ के ‘सबूत’ पर आधारित है। महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी से पहले सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। पुणे पुलिस ने कई राज्यों में कुछ जाने-माने वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा और उनमें से पांच को गिरफ्तार किया। इनमें कवि वरवर राव को हैदराबाद से, कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस और अरूण फरेरा को मुंबई से, ट्रेड यूनियन से जुड़ीं और वकील सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद से और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।
ये छापेमारी पुणे में पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम की जांच के सिलसिले में की गई। इस कार्यक्रम के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में दलितों और अगड़ी जाति के समूहों के बीच हिंसा हुई थी।
केसरकर ने कहा, ‘‘नक्सल आंदोलन से उनके संबंधों की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया है। अगर कोई साक्ष्य नहीं होता तो हमने कार्रवाई नहीं की होती। हमने इन नक्सल कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी से पहले प्रक्रियाओं का पालन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कार्रवाई किसी को खुश करने के लिये नहीं की गई है। हमारे पास सबूत नहीं होते तो हमने छापेमारी नहीं की होती।’’ मंत्री ने कहा कि नक्सली भारत के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वामपंथी होना गलत नहीं है। वामपंथी उग्रवादी होना गलत है।’’ केसरकर ने कहा कि प्रोफेसर साईबाबा (माओवादियों से कथित संबंध के लिये 2014 में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर) इस बात के क्लासिक उदाहरण हैं कि बुद्धिजीवी देश के खिलाफ अपने दिमाग का इस्तेमाल कर रहे हैं। नक्सल आंदोलन देश में प्रतिबंधित है और किसी को भी इससे सहानुभूति नहीं रखनी चाहिये।
अभियान के बारे में सूचना की मांग करने वाले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के पत्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘एनएचआरसी के पत्र का जवाब देना सरकार का कर्तव्य है। यह नियमित प्रक्रिया है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम कुछ भी गलत कर रहे हैं।’’ कोरेगांव भीमा गांव में हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद हुई ंिहसा के बारे में पूछे जाने पर केसरकर ने कहा, ‘‘मामले की जांच के लिये एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। रिपोर्ट के साथ आने दें। अगर कोई संबंध स्थापित हुआ तो हम परिषद के आयोजकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोरेगांव भीमा ंिहसा में कथित संबंधों के लिये मिलिंद एकबोटे (दक्षिणपंथी नेता और कोरेगांव-भीमा हिंसा के मुख्य आरोपी) को भी गिरफ्तार किया है। हमारी इस बात के लिये आलोचना नहीं होनी चाहिये कि सिर्फ वामपंथियों को ही निशाना बनाया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले आदिवासी वामपंथी उग्रवाद का निशाना थे। अब, राज्य सरकार की नीतियों के जरिये आदिवासी खुशहाल हैं। इसलिये, नक्सली बेरोजगार शहरी युवाओं को निशाना बना रहे हैं।’’