रूस से हथियार खरीदने पर अमेरिका ने दी भारत को चेतावनी, कहा: अमेरिका से छूट मिलने की गारंटी नहीं


अमेरिका ने भारत को भारत को आगाह किया है कि अगर वह रूस से लगातार हथियार खरीदता रहा तो तो उसे अमेरिका से छूट मिलने की गारंटी नहीं होगी। वाशिंगटन की चिंता का कारण भारत की रूस के साथ होने वाली बड़ी रक्षा डील है। भारत रूस से 39,000 करोड़ रुपये की लंबी दूरी की मारक क्षमता से लैस एस-400 मिसाइल रोधी टेक्नोलॉजी खरीद रहा है। इस डील में अन्य हथियारों की खरीद भी होनी है। अमेरिका की चिंता का कारण यही डील है।

पेंटागन में एशियाई सुरक्षा मामलों के सहायक मंत्री रैंडल स्रीवर ने बुधवार (29 अगस्त) को कहा, ”छूट देने वालों ने ऐसा माहौल बनाया है जिससे लगता है कि भारत को इस संबंध में छूट मिलेगी ही, फिर चाहें वह कुछ भी करता रहे। मैं बताना चाहूंगा कि यह थोड़ी भ्रमित करने वाली बात है।” उन्होंने कहा, हमें अभी भी इसकी चिंता है कि भारत रूस के साथ बड़े सौदे कर सकता है। यहां बैठकर मैं आपसे यह नहीं कह सकता कि उन्हें छूट मिलेगी ही और उनके लिए प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी।

बता दें कि स्रीवर का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब ठीक एक हफ्ते बाद नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है। बातचीत के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस नई दिल्ली आने वाले हैं। हाल के कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी साबित हुआ है। वर्तमान में रूस के साथ कारोबार करने वालों के लिए अमेरिका के नियम बेहद सख्त हैं।

अमेरिका का नियम है कि यदि कोई रूस के साथ रक्षा या फिर खुफिया विभाग से संबंधित सौदा करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, रक्षा मंत्री जिम मैटिस के प्रयासों के कारण अमेरिकी संसद ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री को रूस के साथ सौदा करने वाले सहयोगी देशों को प्रतिबंधों से छूट देने का अधिकार दे दिया। अमेरिका के भारत को आगाह करने के बीच ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अगले सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली पहली भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता दोनों देशों के बीच मजबूत होती रणनीतिक साझेदारी का संकेत है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस इस 2+2 वार्ता के लिए नई दिल्ली जाएंगे।

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