हाई कोर्ट के अनुसार सिलबट्टा और सब्‍जी काटने वाली छुरी भी हो सकती है घातक हथियार


दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (30 अगस्त) को बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा, ”भारतीय रसोई में चाकू और सिल-बट्टे की मौजूदगी बेहद आम बात है। लेकिन ये इस तथ्य को कमजोर नहीं कर सकती कि ये कम घातक हथियार हैं।” कोर्ट ने ये बात एक शख्स को चाकू और सिल-बट्टे से अपनी पत्नी की हत्या की कोशिश का दोषी करार देते हुए कही। इस शख्स को पहले निचली अदालत ने बरी कर दिया था। उस समय कोर्ट ने ये कहा था कि ये कम घातक हथियार हैं और इनका प्रयोग अपराध में नहीं किया जा सकता है।

मामले की सुनवाई करने वाली जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने दोषी को सात साल के सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। दोषी शख्स पर ये आरोप सिद्ध हो गया था कि उसने अपनी पत्नी के चेहरे को रसोई घर के चाकू और सिल-बट्टे से विकृत करने की कोशिश की थी। ये वारदात 8 और 9 फरवरी 2014 की दरमियानी रात में हुुई थी।

कोर्ट ने कहा,” चूंकि रसोई घर का चाकू और सिल-बट्टा ज्यादातर घरों में आसानी से उपलब्ध हैं, इससे ये सिद्ध नहीं हो जाता है कि ये कम घातक हथियार हैं। किसी इंसान के महत्वपूर्ण अंगों पर अगर चाकू से हमला किया जाए तो इससे गंभीर क्षति पहुंच सकती है। जैसे इस मामले में पीड़िता की गर्दन पर चाकू से हमला किया गया। ये मामला खुद इस बात का उदाहरण है कि रसोई घर का चाकू वास्तव में कितना घातक हथियार है। इस हमले से पीड़िता का चेहरा स्थायी रूप से विकृत हो गया है और अब पीड़िता पूरी जिंदगी इस हमले के निशानों को लेकर जिएगी।”

कोर्ट ने इस मामले में दो अपीलों पर सुनवाई की थी। पहली अपील पति राकेश की थी। जिसने इस मामले में उसके ऊपर लगाए गए भादवि की धारा 326 और 342 के आरोपों को चुनौती दी थी। जबकि अन्य याचिका पीड़िता नेमवती की थी। नेमवती ने उसे मारने की कोशिश करने वाले राकेश को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई करने वाली निचली अदालत ने कहा था कि अगर राकेश अपनी पत्नी की हत्या करना चाहता, तो वह आसानी से हत्या करने के किसी अन्य घातक हथियार का इंतजाम कर सकता था।

बता दें कि राकेश और नेमवती की शादी 19 जून, 2007 को हुई थी। लेकिन शादी के कुछ अरसे बाद ही दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। हमले से दो साल पहले नेमवती ने अपने पति का घर छोड़ दिया था। 8 फरवरी 2014 को राकेश अपने ससुर के घर गया और उसे दवाई दिलवाकर लाने की बात कहकर अपने साथ ले गया।

नेमवती रात करीब 8.30 बजे अपने बेटे को घर में छोड़कर राकेश के साथ चली गई। लेकिन वह उसे दवा की दुकान पर ले जाने की बजाय दिल्ली के सुल्तानपुरी स्थित अपने घर ले गया। वहां पर उसने अपनी पत्नी पर चाकू और सिलबट्टे से हमला कर दिया। बेंच ने पाया कि हमलावर ने न सिर्फ उसे लहूलुहान हालत में छोड़ दिया बल्कि दरवाजे को भी बाहर से बंद कर दिया। कोर्ट ने माना कि इस बात में कोई शक नहीं था कि हमलावर चाहता था कि पीड़िता को धीमी मौत मिले। हमलावर को ये पूरी उम्मीद थी कि पीड़िता उसके हमले के बाद जल्दी होश में नहीं आएगी। लेकिन ये पीड़िता का सौभाग्य था कि वह हमले से बच गई और मदद के लिए लोगों को बुलाने में सफल रही।

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