राहुल गांधी रवाना हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर, चीन के रास्ते मानसरोवर की करेंगे यात्रा
अपने आप को सार्वजनिक तौर पर कई बार शिवभक्त कह चुके कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना हुए. राहुल गांधी चीन के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा करेंगे. जिस दौरान राहुल गांधी यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तब उनकी माता और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी उनके आवास पर ही मौजूद थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत से वह पहले चीन के बीजिंग शहर जाएंगे, जहां से उनका अगला पड़ाव सागा होगा। सागा में वह एक-दो दिन रुकेंगे। फिर वह मानसरोवर यात्रा के लिए आगे बढ़ेंगे। उनके यात्रा पर जाने से पहले चीन के राजदूत उन्हें एयरपोर्ट पर सी ऑफ करना चाहते थे। सरकार से उसके लिए अनुमति भी मांगी गई थी। सूत्रों की मानें तो भारत स्थित चीनी दूतावास ने विदेश मंत्रालय से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट में प्रवेश के लिए एक अस्थाई पास की मांग की थी। यह एंट्री पास चीनी दूतावास के काउंसलर जाऊ युयून के लिए मांगा गया था। वजह- युयून, राहुल के कैलाश यात्रा पर जाने से पहले यहां उन्हें सी ऑफ करना चाहते थे।
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी पहले यहां से चीन के बीजिंग रवाना होंगे. इसके बाद वह बीजिंग से लहासा और फिर सागा जाएंगे. राहुल सागा में करीब एक या दो दिन तक रुकेंगे. जिसके बाद मानसरोवर की ओर बढ़ेंगे. बता दें कि मानसरोवर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 15,060 फीट तक है. राहुल गांधी वहां पर एक बेस कैंप में ही रुकेंगे.
बता दें कि गुजरात चुनाव के दौरान राहुल खुद को जनेऊधारी हिंदू, शिवभक्त बता चुके हैं. राहुल रुद्राक्ष की माला भी पहनते हैं, जो गुजरात मे प्रचार के आख़िरी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में नज़र भी आई थी.
अप्रैल में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की ‘जन-आक्रोश रैली’ राहुल गांधी ने कहा था, ‘मैं दो-तीन दिन पहले कर्नाटक जा रहा था, मैं प्लेन में सवार था. प्लेन अचानक 8 हजार फीट नीचे आ गया. मैं अंदर से हिल गया और लगा कि अब गाड़ी गई. तभी मुझे कैलाश मानसरोवर याद आया. अब मैं आपसे 10 से 15 दिन के लिए छुट्टी चाहता हूं ताकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकूं.’
आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है. यहां जाने के दो रास्ते हैं. पहला उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जाया जाता है. इस यात्रा में 60-60 यात्रियों का 18 जत्था जाता है.
मानसरोवर यात्रा का दूसरा मार्ग सिक्किम के नाथुला दर्रे से होकर जाता है. इस मार्ग पर वाहन की सुविधा होने के कारण यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए अनुकूल मानी जाती है. इस यात्रा की अवधि 21 दिन की होती है.