प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान: सरकार ने 1 करोड़ रुपये आवेदन शुल्क लिया था, IIM कलकत्ता ने वापस मांगा पैसा
प्रतिष्ठित श्रेष्ठ संस्थान (इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस) का दर्जा पाने हेतु आवेदकों से 1 करोड़ रुपये आवेदन शुल्क लिया गया था। नियमों के अनुसार, यदि किसी संस्थान को नहीं चुना जाता, तो सरकार 75 लाख रुपये लौटाएगी। प्रकाश जावड़ेकर के नेतृत्व वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 6 श्रेष्ठ संस्थानों के नाम का ऐलान किए दो महीने से ऊपर हो चुके है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार बाकी 14 स्लॉट के लिए फिर से आवेदन मंगवाएगी या नहीं। इस बीच, 114 आवेदकों में से कई जिन्होंने एक करोड़ रुपये चुकाए, अधीर हो रहे हैं। भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र लिखकर 75 लाख रुपये रिफंड करने को कहा है कि क्योंकि उसे चुने जाने की ज्यादा उम्मीद नहीं है।
केंद्र सरकार ने जुलाई में श्रेष्ठ संस्थानों के नामों की घोषणा की थी जिसमें रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट भी शामिल था, जो अभी तक बना भी नहीं है। विपक्ष ने इस कदम का विरोध किया तो सरकार ने सफाई देते हुए कहा था कि जियो इंस्टीट्यूट का चयन ग्रीनफील्ड इंस्टीट्यूशन्स के नियमों के तहत किया गया। सरकार के अनुसार, यूजीसी रेगुलेशन 2017, के अनुच्छेद 6.1 के अनुसार उन संस्थानों को भी चुना जा सकता है, जो अभी खुले नहीं हैं।
मंत्रालय के मुताबिक संस्थानों का चयन तीन वर्गों में किया गया है। पहले वर्ग में आइआइटी जैसे सार्वजनिक संस्थान, दूसरे में निजी संस्थान और तीसरा वर्ग ग्रीनफील्ड है। जिसमें प्रस्तावित संस्थानों को जगह मिलती है। ग्रीनफील्ड वर्ग के लिए कुल 11 प्रस्ताव आए थे, यूजीसी की कमेटी ने जियो को योग्य पाया।
इंडियन एक्सप्रेस ने आरटीआई के जरिए जानकारी हासिल की कि श्रेष्ठ संस्थान का दर्जा देने के लिए मानक निर्धारित करने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और जावड़ेकर के मंत्रालय के बीच गंभीर मतभेद थे। खासकर ऐसे शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता, वित्तीय मामलों और शैक्षिक प्रावधानों को लेकर एचआरडी और पीएमओ के बीच आम सहमति नहीं थी।