किसानों की आय दोगुनी करने वाले दलित वैज्ञानिक की पीएम मोदी से गुहार- डीजी करते हैं तंग, प्रताड़ना से बचाइए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के सपनों का देश बनाने की बात करते हों और दलितों को समाज की मुख्यधारा में लाने की वकालत करते हों मगर दलित अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ भेदभाव जारी है। मैसूर स्थित देश के प्रतिष्ठित और मशहूर शोध संस्थान केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राम राजशेखरन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। राजशेखरन ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय के तहत आने वाले वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक गिरीश साहनी उन्हें जान-बूझकर परेशान कर रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि उनके वैज्ञानिक और अकैडमिक करियर को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। दलित समुदाय से आने वाले प्रोफेसर राजशेखरन ने अपने पत्र की एक कॉपी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी भेजी है।

बता दें कि राजशेखरन सीएसआईआर के तहत आनेवाले केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के निदेशक हैं। उनकी नियुक्ति पांच साल पहले इस पद पर कुल छह साल के लिए हुई थी लेकिन सीएसआईआर के महानिदेशक गिरीश साहनी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनका स्थानांतरण नई दिल्ली में सीएसआईआर के मुख्यालय में निदेशक स्पेशल प्रोजेक्ट्स के पद पर कर दिया है। राजशेखरन का कहना है कि जानबूझकर प्रताड़ित करने के इरादे से डीजी ने उनका स्थानांतरण ऐसे पद पर किया है, जो अस्तित्व में है ही नहीं। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ साजिशन ऐसी कार्रवाई की गई है ताकि दलित समुदाय का कोई व्यक्ति किसी बड़े संस्थान के टॉप-मोस्ट पोस्ट पर ना पहुंच सके।

केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के निदेशक प्रोफेसर राम राजशेखरन।

राजशेखरन ने अपने पत्र में अपनी नियुक्ति की शर्तों का हवाला देकर लिखा है कि साल 2012 में उनकी नियुक्ति इस पद पर छह साल के लिए हुई थी। उन्होंने लिखा है कि उनके वैज्ञानिक शोध और प्रशासनिक कार्यक्षमता को देखते हुए ही उन्हें सीएफटीआरआई का निदेशक बनाया गया था लेकिन अब अनर्गल आरोप लगाकर ना केवल पद से हटाया जा रहा है बल्कि उनकी छवि को भी धूमिल किया जा रहा है। राजशेखरन ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनके खिलाफ पहले जांच कराई गई लेकिन जब तीन-तीन जांच कमेटियों से क्लीनचिट मिल गई तो अंत में परेशान करने के इरादे से सीएसआईआर मुख्यालय में ट्रांसफर कर दिया।

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