आयकर विभाग द्वारा गुमराह करने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 10 लाख का जुर्माना, कहा: ये पिकनिक की जगह नहीं
एक याचिका के लंबित होने की बात कहकर अदालत को गुमराह करने के लिए आयकर विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत पिकनिक की जगह नहीं है और उससे इस तरह का बर्ताव नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने विभाग पर दस लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। पीठ ने कहा कि वह इस बात से हैरान है कि आयकर आयुक्त के जरिए केंद्र ने मामले को इतने हल्के में लिया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आयकर विभाग ने 596 दिनों की देरी के बाद याचिका दायर की और विलंब के लिए विभाग की ओर अपर्याप्त और अविश्वसनीय दलीलें दी गर्इं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे। अदालत ने विभाग के वकील को कहा-ऐसा मत कीजिए। सुप्रीम कोर्ट पिकनिक की जगह नहीं है। क्या आप इस तरह से भारत के सुप्रीम कोर्ट से बर्ताव करते हैं। आप सुप्रीम कोर्ट से इस तरह से पेश नहीं आ सकते।
शीर्ष अदालत ने कहा कि गाजियाबाद के आयकर आयुक्त की ओर से दायर एक याचिका में विभाग ने कहा कि 2012 में दी गई एक उसी तरह की अर्जी अब भी अदालत में लंबित है। पीठ ने कहा कि विभाग जिस मामले को लंबित बता रहा है, उसका फैसला सितंबर 2012 में ही कर दिया गया था। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया-दूसरे शब्दों में कहें तो याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष बिल्कुल गुमराह करने वाला बयान दिया है। हम हैरान हैं कि आयकर आयुक्त के जरिए भारत सरकार ने मामले को इतने हल्के में लिया। पीठ ने विभाग को चार हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के समक्ष 10 लाख रुपए जमा कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि रकम का इस्तेमाल किशोर न्याय से जुड़े मुद्दों के लिए किया जाएगा।