राफेल का असर! अडानी को डील पार्टनर बनाना चाहता था रूस, मोदी सरकार ने ठुकराया प्रस्ताव
फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे पर विवाद के बाद मोदी सरकार सजग हो गई है। इसका असर भी दिखने लगा है। दरअसल, रूस को 3,000 करोड़ रुपये में भारतीय सेना के लिए AK-103 असॉल्ट राइफल बनाने का ठेका मिला है। रूस ने सरकार से संयुक्त रूप से इसके उत्पादन के लिए अडानी ग्रुप को अपना डील पार्टनर बनाने का आग्रह किया था। मोदी सरकार ने मॉस्को के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अप्रैल में दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी कि AK-103 असॉल्ट राइफल का निर्माण रूसी क्लाशिनकोव कंसर्न करेगी और सरकारी क्षेत्र की इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज पार्टनर कंपनी होगी। रूस का कहना था कि समझौते के तहत संयुक्त उत्पादन के लिए पार्टनर के तौर पर विदेशी कंपनी के पास भारतीय कंपनी के चयन का विकल्प नहीं है। रक्षा मंत्रालय ने अगस्त में रूस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। सूत्रों का कहना है कि भारत ने इस बाबत रूस को बता दिया है कि यदि वे अडानी को पार्टनर बनाने पर जोर डालेंगे तो उन्हें निविदा प्रक्रिया के तौर-तरीके अपनाने होंगे। साथ ही इसके लिए टेंडर भरना होगा।
सरकार सतर्क: मेक इन इंडिया के तहत केंद्र सरकार रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश की निजी कंपनियों को आगे बढ़ाना चाहती है। लेकिन, राफेल डील में अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस डिफेंस को शामिल करने से पैदा हुए विवाद के बाद सरकार सतर्क हो गई है। सूत्रों ने बताया कि फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट को रिलायंस डिफेंस को अपना पार्टनर चुनने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि विदेशी कंपनी को रिलायंस के साथ संयुक्त उत्पादन और तकनीक हस्तांतरण जैसी शर्तों का पालन नहीं करना था। AK-103 असॉल्ट राइफल से जुड़े करार को अक्टूबर से पहले अंजाम तक पहुंचाना था, लेकिन ताजा डेवलपमेंट से इसमें देरी हो सकती है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर में रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। बता दें कि इस डील के तहत भारत अपने मित्र देश से 6 लाख AK-103 असॉल्ट राइफल खरीदेगा। अप्रैल में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मॉस्को यात्रा के दौरान हजारों करोड़ के इस रक्षा करार पर सहमति बनी थी। एक AK-103 असॉल्ट राइफल की कीमत तकरीबन 50,000 रुपये है।