AMU से मुस्लिम शब्‍द हटाने का यूनिवर्सिटी ने किया विरोध

यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के नाम में से ‘मुस्लिम’ शब्द निकालने का सुझाव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सरकारी समिति ने दिया था। समिति के इस सुझाव पर अब विश्वविद्यालय ने पलटवार किया है। विश्वविद्यालय ने इस प्रस्ताव को निरर्थक बताया है। उनका मानना है कि ये संस्थान के लंबे इतिहास और अलहदा किरदार को खारिज कर रहा है। शासनादेश से आगे बढ़कर सिफारिश करने के लिए एएमयू के कुलसचिव जावेद अख्तर ने सरकार को पत्र लिखकर कमिटी ​की आलोचना की है। उन्होंने कहा,” विश्वविद्यालय का नाम हमें उसके इतिहास, उद्देश्य और किरदार के बारे में जानकारी देता है और उसे उसी हालत में संभाले रखना हमारा परम संवैधानिक कर्तव्य है।”

सरकारी आदेशों के बाद किए गए आॅडिट में दिए गए 15 सुझावों के जवाब में अख्तर ने कहा,” कमिटी ने गलत निष्कर्ष निकाला है कि एएमयू का नाम बदलकर अलीगढ़ विश्वविद्यालय करना धर्मनिरपेक्षता का भाव पैदा करेगा। सभी को याद रखना चाहिए कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा न्याय और समानता पर चर्चा से ही सामने आएगी। पश्चिमी देशों की तरह धर्म विरोधी रवैया अपनाने से ये भावना पैदा नहीं होगी।”

वैसे बता दें कि द इंडियन एक्सप्रेस ने 9 अक्टूबर 2017 को अपनी रिपोर्ट में पहली बार बताया था कि 25 अप्रैल, 2017 को यूजीसी के द्वारा गठित की गई पांच में एक समिति ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आॅडिट के बाद ये सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिए हैं। ये समिति मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेश के बाद गठित की गई थी। समिति के गठन का उद्देश्य 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मिली अनियमितता की शिकायतों की जांच करना था।

हालांकि आॅडिट पैनल को सभी 10 विश्वविद्यालयों में कुछ क्षेत्रों में जांच के आदेश दिए गए थे। जांच पैनल को इंफ्रास्ट्रक्चर और एकेडमिक, शोध और वित्तीय गतिविधियों की जांच करनी थी। लेकिन एएमयू पर पैनल की जांच रिपोर्ट ने सुझाया है कि संस्थान को या तो सिर्फ ‘अलीगढ़ विश्वविद्यालय’ कहा जाए या फिर उसका नाम उसके संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान के नाम पर रखा जाए।

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