पत्रकारों को देनी होगी सामाजिक सुरक्षा, इसके बिना ठीक से काम नहीं कर सकते: प्रेस काउंसिल


मीडिया क्षेत्र में नौकरियों की अनिश्चितता के मुद्दे की चर्चा करते हुए भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने बुधवार को पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पत्रकार इसके बिना ठीक से काम नहीं कर सकते। वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजत जयंती समारोहों की शुरुआत के मौके पर यहां आइआइएमसी परिसर में आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे।

प्रसाद ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में एक शब्द का काफी इस्तेमाल किया जाता है। इसे पिंक स्लिप कहते हैं। कोई भी व्यक्ति चाहे वह संपादक हो या रिपोर्टर, जो कार्यालय जाता है, उसे यह पता नहीं होता कि उसका कल भी काम पर जाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के अधिकार भी महत्त्वपूर्ण हैं। प्रसाद ने कहा कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। क्योंकि दावे और प्रतिवाद हैं और जब तक पत्रकार को इससे सुरक्षा नहीं मिलती, वे ठीक से और ईमानदारी से काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने पत्रकारों से आह्वान किया कि वे समाज की बेहतर सेवा के लिए मानवाधिकारों के ज्ञान से खुद को मजबूत करें।

उन्होंने कहा कि मीडिया ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में लोगों को जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है। आज के परिदृश्य में जब मीडिया की शक्ति बढ़ी है, उन्हें सावधानी से, संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए। इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने कहा कि कई अवसरों पर आयोग ने मानवाधिकारों के उल्लंघनों पर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है।

उन्होंने कहा कि मीडिया ने मानवाधिकार और उनके उल्लंघनों के बारे में आम लोगों को शिक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर भौगोलिक दृष्टि से दूरस्थ स्थानों पर। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आइआइएमसी) के महानिदेशक केजी सुरेश ने मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दोनों संस्थानों के बीच जुड़ाव का प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया जिसमें आयोग की 25 वर्षों की यात्रा का वर्णन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *