तेलंगाना सीएम ने बड़े सियासी दांव में कर दी राज्य की विधानसभा भंग, वक्त से पहले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ


तेलंगाना सीएम के चन्द्रशेखर राव ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए राज्य की विधानसभा भंग कर दी है। इसके साथ ही राज्य में वक्त से पहले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सीएम के चन्द्रशेखर राव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दिया गया।  तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 2 जून 2019 तक था। यानी की तेलंगाना के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते। लेकिन ‘लोकप्रियता’ के रथ पर सवार सीएम के चन्द्रशेखर राव ने वक्त से पहले चुनाव कराने का फैसला लिया है। इस वक्त तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) की सरकार है। कैबिनेट के फैसले के बाद सीएम के चन्द्र शेखर राव ने राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हा से मुकालात की है और उन्हें कैबिनेट के फैसले से अवगत कराया है। राज्यपाल ने सीएम की सिफारिश मान ली और विधानसभा भंग कर दी है। उन्हें राज्यपाल ने फिलहाल केयरटेकर सीएम बने रहने को कहा है।  के चंद्रशेखर राव ने कुछ ही दिन पहले एक विशाल रैली की थी, तभी से अटकलें लगाई जा रही थी कि वे राज्य विधानसभा भंग कर जल्दी चुनाव का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। केसीआर ने गुरुवार को जब मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई तभी से कयास लगाये जा रहे थे कि केसीआर विधानसभा भंग करने की घोषणा करेंगे।

 

बता दें कि मई 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में टीआरएस को 63 सीटें मिली थीं। इधर बीजेपी ने टीआरएस के इस फैसले पर सधी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि विधानसभा भंग करना टीआरएस का अधिकार है, लेकिन उसे जनता को बताना होगा कि आखिर जल्दी चुनाव करवाने की क्या वजह थी। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ तेलंगाना के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधानसभा भंग होने के साथ ही केसीआर चुनाव अभियान में जुट जाएंगे। वह अगले 50 दिनों में 100 राजनीतिक सभाएं करेंगे।


विधानसभा भंग करते ही केसीआर चुनावी मोड में आ गये हैं। उन्होंने आज ही टीआरएस के 105 कैंडिडेट्स की घोषणा कर दी। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि राहुल गांधी देश के सबसे बड़े मसखरे हैं। इधर विपक्षी पार्टियों ने राज्य में जल्द चुनाव कराने के मुख्यमंत्री के कदम की आलोचना करते हुए उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अगले साल विधानसभा चुनाव होने पर टीआरएस के सत्ता में न आ पाने के डर से ‘नकारात्मक राजनीति’ कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह स्पष्टीकरण देना चाहिए कि ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि उन्होंने विधानसभा को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग कर दिया। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख प्रवक्ता श्रवण दासोजु ने पीटीआई…भाषा को बताया कि राज्य की स्थापना काफी ”संघर्ष और कुर्बानी” के बाद हुई थी और लोगों को विकास, खेती और रोजगार सृजन जैसे मुद्दे पर काफी आशाएं थी लेकिन यह वादे पूरे नहीं हुए। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राव के बीच ‘संदिग्ध समझौता” हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा के साथ-साथ तेलंगाना विधानसभा का चुनाव भी समय-सारिणी के अनुसार अगले साल होता तो यह चुनाव राहुल गांधी बनाम मोदी में बदल जाता और तेलंगाना जैसे राज्य में इसका फायदा कांग्रेस को मिलता।

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