समानता का अधिकार: ‘आज हमें पहली बार हुआ आजादी का अहसास’
जलंधर की मनजीत संधू (44) और सीरत संधू (28) पंजाब की पहली महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष अप्रैल में खुलेआम आपस में शादी कर ली, वह भी बाकायदा एक सजे-धजे रथ पर सवार होकर बैंड बाजा और बारात के साथ। इन दो महिलाओं ने भले ही समलिंगी संबंधों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहुत पहले आपस में शादी कर रखी हो, पर इन्हें अपने ‘संबंधों की आजादी’ का असल स्वाद तो शायद सर्वोच्च अदालत की मुहरके बाद ही आया हो। अब इस ‘दंपति’ को लगता है कि समाज उन्हें हिकारत भरी निगाह से देखना बंद कर देगा और उन्हें खुले दिल से स्वीकार कर लेगा।दरअसल, जलंधर वासी मनजीत संधू (44) और सीरत संधू (28) पंजाब की पहली महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष अप्रैल में खुलेआम आपस में शादी कर ली, वह भी बाकायदा एक सजे-धजे रथ पर सवार होकर बैंड बाजा और बारात के साथ। दोनों की शादी स्थानीय पक्का बाग इलाके के जनता मंदिर में हुई जो शहर के बीचोंबीच है। बीते एक साल से दोनों हंसी-खुशी रह रही हैं और उनका कहना है कि अब उनकी जिंदगी बहुत बदल गई है। उन्हें एक-दूसरे का साथ बेहद सुरक्षित महसूस होता है।
गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने समलिंगी संबंधों को कानूनी जामा पहना दिया और संबंधित आइपीसी की धारा 377 को दंडनीय अपराध की श्रेणी से भी आंशिक तौर पर बाहर कर दिया। महिला पुलिस कर्मी और कपूरथला मॉडर्न जेल में ‘लेडी कांस्टेबल’ मनजीत संधू और उनकी संगिनी सीरत संधू का कहना है, हम आज बेहद खुश हैं और उम्मीद है कि भविष्य में हम अपनी शादी को कानूनन पंजीकृत भी करा पाएंगे और फिर पासपोर्ट पर भी हमारे नाम वहां बतौर पति-पत्नी दर्ज हो जाएंगे। दोनों को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देशभर के एलजीबीटी के साथ समाज में भेदभाव खत्म कर देगा और अब से ये दोनों एक-दूसरे के साथ ज्यादा खुलकर घूम-फिर पाएंगे। संधू का कहना है, हम पहले भी खुलेआम घूमते रहे हैं पर लोग हमें तंग किया करते थे, पर अब यह सब खत्म हो जाएगा। संधू मूल रूप से अमृतसर के एक गांव की रहने वाली हैं पर बीते 15 साल से जलंधर में ही बसी हैं। सीरत का कहना है, हमारे समाज को यह सब स्वीकार करना होगा क्योंकि यह अपराध न होकर अपने पसंदीदा साथी के साथ मनमर्जी से रहने की आजादी है।
कपूरथला जेल में तैनात आला पुलिस अधिकारियों का कहना है, मनजीत संधू लड़का बनकर रहती है क्योंकि उसने बाल भी लड़कों की तरह रखे हुए हैं। वह हमेशा कमीज-पैंट पहनती है, जिम जाती है और मोटरसाइकिल चलाती है। वह एक समर्पित पुलिस कर्मी है। मनजीत का कहना है, मेरी साथिन अब पढ़ रही है और मैं चाहता हूं कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करे और आगे पढ़े। सीरत का कहना है, मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे मनजीत जैसा जीवन-साथी मिला जो मुझे समझता है, और मेरी तरक्की से बेहद खुश है। दरअसल, इन दोनों महिलाओं की पहली मुलाकात भी जेल में हुई थी, जब सीरत को उसके पहले पति की हत्या के झूठे आरोप में फंसाया गया था, पर बाद में वह रिहा हो गई और तब मनजीत वहां जेलर थी। जेल से छूटने के बाद सीरत का मनजीत से संपर्क कायम रहा और दोनों में प्रेम हो गया, फिर दोनों ने शादी कर ली। पहली शादी से वैसे सीरत को एक बेटी है। सीरत का परिवार पहले तो इस समलिंगी शादी के खिलाफ था, पर बाद में राजी हो गया। और तो और, सीरत से शादी के बाद मनजीत को भी अपने आला जेल अधिकारियों के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। सीरत का कहना है, यह हमारा सच्चा प्यार ही था जिसने हमें उस भारतीय समाज के खिलाफ सीरत जाकर शादी करने की हिम्मत दी जो ऐसे प्रेम विवाह को सख्त नापसंद करता आया है। जो भी हो, बाद में हमें अहसास हुआ कि जिंदगी इतनी छोटी है कि उसमें सपने मुश्किल से ही पूरे हो पाते हैं। मनजीत ने अपनी इस शादी का फैसला असल में दो बार दिल का दौरे पड़ने के बाद लिया था और जब उसने शादी करने का फैसला किया तो उसके जेहन में सबसे पहले सीरत का ही नाम आया। हालांकि, सीरत भी उसके ही साथ शादी करना चाहती थी।