दुनिया के सामने

यह पहली बार नहीं है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा का सालाना अधिवेशन भारत और पाकिस्तान के बीच आरोप-प्रत्यारोप और कूटनीतिक वार तथा पलटवार का गवाह बना हो। लंबे समय से यह होता आया है। वह सिलसिला इस बार भी दोहराया गया। पाकिस्तान ने कश्मीर राग अलापा और फिर भारत ने आतंकवाद को लेकर उसे जमकर खरी-खोटी सुनाई। इस सिलसिले में भारत की कूटनीतिक बढ़त को आसानी से लक्षित किया जा सकता है, और उसके कहीं ज्यादा तीखे तेवर को भी। भारत की तरफ से पहले मोर्चा संभाला संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव एनम गंभीर ने। उन्होंने बीते शुक्रवार को पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उसे ‘टेररिस्तान’ और ‘शुद्ध आतंक’ की जमीन करार दिया। प्रतिक्रिया करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपनी बेलाग टिप्पणी में उन्होंने कहा कि यह कितनी अजीब बात है कि जिस देश ने उसामा बिन लादेन को संरक्षण दिया, और मुल्ला उमर को शरण दी, वही खुद को पीड़ित बता रहा है। पर भारत का जवाब इस प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान को ‘टेररिस्तान’ करार देने के एक रोज बाद और भी तीखा हमला बोला खुद विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने। संयुक्त राष्ट्र महासभा के बहत्तरवें सत्र में हिंदी में दिए उनके भाषण में पाकिस्तान-समर्थित आतंकवाद का मुद््दा ही छाया रहा।

इस मौके पर सुषमा स्वराज ने कहा कि जहां भारत ने तकनीक, प्रबंध और चिकित्सा विज्ञान के संस्थान बनाए, वहीं पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन पैदा किए। पाकिस्तान के बारे में, और वह भी दुनिया भर के नुमाइंदों के सामने, इससे कठोर बयान और क्या हो सकता है! अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान को घेरने के भारत के प्रयासों का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि अपने भाषण में सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का पंद्रह बार जिक्र किया, जबकि पिछली बार उन्होंने उसका सिर्फ छह बार नाम लिया था। अलबत्ता पिछली बार उन्होंने बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन का मसला उठाया था, पर अबकी बार इस बारे में वे खामोश रहीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने पाकिस्तान को घेरने के साथ ही सुषमा स्वराज ने बहुपक्षीय बैठकों के जरिए भी आतंकवाद के खिलाफ जोरदार समर्थन जुटाने की कोशिश की, जो रंग भी लाई। ब्रिक्स, इबसा, लातिन अमेरिकी और शंघाई सहयोग संगठन के देशों ने भारत का साथ देते हुए आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रस्तावना पर सहमति जताई है। इन बहुपक्षीय बैठकों के बाद जारी साझा बयानों में आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया गया है।

अपनी घेराबंदी से घबराए पाकिस्तान ने उलटा चोर कोतवाल को डांटे के अंदाज में भारत पर पड़ोस में आतंकवाद को शह देने का आरोप लगाया, भारत पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन के दोष मढ़े, बिना इस बात की फिक्र किए कि इन आरोपों के सिर-पैर भी हैं या नहीं। पाकिस्तान ने कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल का मामला उठाया, पर प्रमाण के तौर पर एक ऐसा फोटो पेश किया जो किसी पीड़ित कश्मीरी महिला का न होकर एक फिलस्तीनी औरत का था। इससे भारत पर उसका पलटवार तो खाली गया ही, उसकी जगहंसाई भी हुई। आतंकवाद के मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान को घेरने की कोशिशों को उसकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रयासों के तौर पर ही देखा जाना चाहिए।

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