काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र की दूसरी यूनिट की मरम्मत एवं आधुनिकीकरण निर्धारित समय से पहले ही पूरा
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएपीएस-2 – 220 मेगावाट) की दूसरी यूनिट मरम्मत एवं आधुनिकीकरण के कार्य पूरे हो जाने के बाद आज (सोमवार) तड़के 2 बजकर 22 मिनट पर फिर से चालू स्थिति (क्रिटिकल) में आ गई। इस यूनिट की मरम्मत एवं आधुनिकीकरण से जुड़े कार्यों में सभी कूलेंट चैनलों को बदलने एवं सभी फीडरों को बदलने के अलावा अन्य सुरक्षा अद्यतन कार्यकलाप भी शामिल हैं। निर्धारित समय से लगभग साढ़े तीन माह पहले ही यह कार्य पूरा हो गया। अपने इस प्रयास में भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल), परमाणु ईंधन परिसर (कूलेंट चैनलों के निर्माता), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) और विभिन्न वेंडर/ठेकेदार पूरी तरह कामयाब साबित हुए।
समस्त निर्धारित नियामकीय जरूरतों पर खरा उतरने के बाद ही यह यूनिट फिर से चालू स्थिति (क्रिटिकल) में आ गई है। अब इसके बाद विभिन्न तरह के परीक्षण किए जाएंगे, इसे ग्रिड से जोड़ा जाएगा और फिर निर्धारित प्रक्रियाओं एवं नियामकीय मंजूरियों के अनुसार इसके विद्युत उत्पादन स्तर को बढ़ाकर पूर्ण विद्युत उत्पादन की स्थिति में लाया जाएगा।
गुजरात के सूरत जिले में स्थित केएपीएस में स्वदेश निर्मित 220 मेगावाट के पीएचडब्ल्यूआर (केएपीएस-1 एवं 2) की दो यूनिटें हैं जिनमें वाणिज्यिक उत्पादन क्रमश: वर्ष 1993 और 1995 में शुरू हुआ था। इसी स्थल पर 700 मेगावाट के पीएचडब्ल्यूआर (केएपीपी-3 एवं 4) की दो और यूनिटें निर्माणाधीन हैं।
एनपीसीआईएल कुल मिलाकर 6780 मेगावाट की क्षमता वाले 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों (डीएई के स्वामित्व वाले 100 मेगावाट का आरएपीएस-1 भी इनमें शामिल है) का संचालन करती है। इसके अलावा, एनपीसीआईएल के 6200 मेगावाट की क्षमता वाले आठ रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। सरकार से प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी मिलने के बाद 12 और रिएक्टरों (9000 मेगावाट) के निर्माण पर भी काम शुरू हो गया है। PIB