भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई

नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव मामले में हाउस अरेस्ट में चल कहे पांचों आरोपी एक्टिविस्ट के ख़िलाफ़ दर्ज FIR रद्द हो या पुलिस जांच जारी रहे, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में पुख्ता सबूत हैं. FIR में छह लोगों के नाम हैं लेकिन किसी की भी तुरंत गिरफ्तारी नहीं की गई थी, शुरुआती जांच में सबूत सामने आने पर छह जून को एक गिरफ़्तारी हुई जिसे कोर्ट में पेश करके रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई, कोर्ट से सर्च वांरट मांगा था.

जांच की निगरानी डीसीपी व सीनियर अधिकारी ने सीज किए गए कंप्यूटर लैपटाप पेनडराइव को फोरेॉसिक जांच के लिए लैब भेजा गया, पूरी सर्च की वीडियोग्राफ़ी करवाई गई, सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़े है और ये संगठन बैन है
राज्य सरकार ने कहा कि ज़ब्त दस्तावेजों में हमे रोना विल्सन की तस्वीर मिली, उसमें रोना के साथ दिख रहा शख्स छत्तीसगढ़ में 40 लाख और महाराष्ट्र में 50 लाख के इनाम वाला आरोपी है. मेहता ने कहा कि कोर्ट आरोपियों की दलील सुनकर अपना विचार न बनाए. सरकार की भी पूरी बात सुननी चाहिए, जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले को हम समग्र रूप से देखेंगे. साथ ही मामले के शिकायतकर्ता के वकील हरीश सालवे ने कहा कि कानून व्यवस्था को तोड़ना व अशांति फैलाना सरकार के विचारों के साथ असहमति नहीं बल्कि सोची समझी साज़िश है.

वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा अगर लोगों को किसी प्रभावित क्षेत्र में लोगों का हाल जानने भेजा जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो प्रतिबंधित संगठन के सदस्य हैं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें सरकार का विरोध और तोड़फोड़ व गड़बड़ी फैलाने वालों के बीच के अंतर को साफ़तौर पर समझना होगा, साथ ही टिप्पणी की कि हमारी व्यवस्था इतना मजबूत होना चाहिए जो विरोध को भी झेल सके. यहां तक कि कोर्ट भी उसमे शामिल है. कयासों के आधार पर हम लिबर्टी का गला नही घोट सकते. हम इस केस को पैनी नज़र से देख रहे है.

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