मानव ढाल बनाए जाने से पहले फारूक डार ने डाला था वोट, जांच में खुलासा

पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि आर्मी के द्वारा ढाल के रूप में इस्तेमाल किए जाने ले पहेल फारूक डार वोट डालकर आया था। न्यूज पोर्टल ग्रेटर कश्मीर के मुताबिक इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट में कहा गया है, “फारूक डार ने अपने गांव के करीबी पोलिंग बूथ पर जाकर मतदान किया था। मतदान करने के बाद फारूक हिलाल अहमद मैगेरी के साथ गमपोरा में शोक मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए गया।” बता दें कि इसी साल अप्रैल महीने में श्रीनगर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव के दौरान यह घटना सामने आई थी।

यह रिपोर्ट पिछले महीने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुड़गाम के द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद को सौंपी गई थी। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट उस समय सामने आई है जब जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य मानवाधिकार आयोग के द्वारा डार को 10 लाख रूपए मुआवजा दिए जाने के सुझाव पर विचार कर रही है। मानवाधिकार संस्थाओं का कहना है कि फारूक डार के साथ आर्मी ने जो किया उसे किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य सरकार की मूलभूत जिम्मेदारी है।

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दिखाई दे रहा था कि एक युवक को सेना के मेजर ने जीप पर बांध रखा है ताकि पत्थरबाज सेना की गाड़ी पर पत्थर न मार सकें। मेजर गोगोई द्वारा उठाए गए इस कदम पर देश में काफी बवाल मचा था। जहां कुछ लोगों ने इसे मनवाधिकारों का उल्लंघन कहते हुए मेजर गोगोई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी तो वहीं कुछ लोगों ने ये भी कहा कि मेजर ने कश्मीर के पत्थरबाजों से निपटने के लिए शानदार रास्ता निकाला है। भारतीय सेना ने तो इस काम को अंजाम देने वाले मेजर गोगोई को सम्मानित भी किया था।

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