2019 में भी ‘पुराने चेहरों’ के सहारे ‘नया गेम’ खेल रही है राहुल की कांग्रेस
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी नैया पार लगाने की जुगत में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कहलाने वाली कांग्रेस राहुल युग में भी पुराने चेहरों पर ही ज्यादा दांव लगाती नजर आ रही है. चुनावों की आधिकारिक घोषणा से पूर्व से ही इस बात का अंदेशा राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा लगाया जा रहा था कि अगर कांग्रेस महागठबंधन में शामिल न हुई तो उसके पास ‘जिताऊ चेहरों’ की खासी कमी होगी. कांग्रेस की आठवीं लिस्ट को देखें तो कमोबेश यह बात साफ होती नजर आ रही है. कांग्रेस ने इस लिस्ट में अपने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों पर तो दांव खेला ही है साथ ही साथ मल्लिकार्जुन खड़गे, कांतिलाल भूरिया, मीनाक्षी नटराजन, प्रदीप टम्टा, प्रीतम सिंह और राशिद अल्वी जैसे अहम चेहरों को भी मौका दिया गया है.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड और मणिपुर में लोकसभा की 38 सीटों के लिए शनिवार को उम्मीदवार के नाम घोषित किए हैं. इनमें अधिकतर वे नाम हैं जो कांग्रेस के अहम चेहरे माने जाते हैं. खास बात यह है कि इस लिस्ट में कांग्रेस ने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम भी शामिल किया है. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्मीदवार बनाया है जबकि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को राज्य की नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से टिकट दिया गया है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को नांदेड़ से टिकट मिला है जबकि कर्नाटक के चिकबलपुर से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है.
कांग्रेस द्वारा जारी की गई इस लिस्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को कर्नाटक के सुरक्षित लोकसभा सीट गुलबर्गा से टिकट मिला है. राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा को सुरक्षित सीट अलमोड़ा से टिकट थमाया गया है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के रतलाम से कांतिलाल भूरिया और मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उत्तराखंड की टिहरी सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है जबकि यूपी की अमरोहा सीट से राशिद अल्वी चुनाव लड़ेंगे.
हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद मे.ज.(रिटा.) भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूरी गढ़वाल से चुनावी मैदान में उतारा गया है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस ने यह दांव राज्य में सैनिक वोटों का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से बचाने के लिए चला है.