इसराइल ने क्या क़ानून तोड़कर किया अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल, क्या कहती है रिपोर्ट?

अमेरिका ने आशंका जताते हुए कहा है कि इसराइल ने ग़ज़ा युद्ध के दौरान कुछ मौक़ों पर अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन कर उसके हथियारों का इस्तेमाल किया होगा.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हो सकता है कि इसराइल जिन दायित्वों से बंधा हुआ है उनका उल्लंघन हुआ हो. लेकिन इस बात का आकलन करना सही है कि अमेरिका की ओर से सप्लाई किए गए हथियारों का इस्तेमाल किन हालात में और कैसे हुआ है.

हालांकि अमेरिका ने ये भी कहा है कि उसकी ओर से जो आकलन किया गया वो अपर्याप्त जानकारियों के आधार पर है.

इसराइल की ओर से अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी रिपोर्ट शुक्रवार को संसद में पेश की गई. रिपोर्ट दाख़िल करने में थोड़ी देरी हुई है.

अमेरिकी संसद ने अपने आदेश में ग़ज़ा-इसराइल संघर्ष में इसराइल और इस लड़ाई से जुड़े छह अन्य देशों की ओर से अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की समीक्षा करने को कहा है.

रिपोर्ट में साफ़तौर पर ग़ज़ा में इसराइल के कुछ ऑपरेशनों की कड़ी आलोचना की गई है लेकिन ऐसा कहने से बचा गया है, जिससे ये लगे कि इसराइली सेना ने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों को तोड़ा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसराइल को ग़ज़ा में हमास के ख़िलाफ़ ‘असाधारण सैन्य चुनौतियों’ का सामना करना पड़ा है.

इसमें ये कहा गया है कि इसराइल ने अमेरिकी हथियारों के क़ानूनी इस्तेमाल के बारे में जो गारंटी दी थी उसका उसने पालन किया है.

इस बारे में उसके आश्वासन भरोसेमंद रहे हैं, इसलिए इसराइल को हथियारों की सप्लाई जारी रखी जा सकती है.

अमेरिका ने कहा- इसराइल के फ़ैसलों पर रहेगी नज़र

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूंकि हमास ‘सैन्य उद्देश्य के लिए सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानव ढाल का इस्तेमाल करता है’ इसलिए वॉर ज़ोन में ज़मीनी तथ्यों का पता लगाना मुश्किल है, और ये भी कि ऐसे टारगेट कौन से हैं जिन पर सही में हमला किया जा सकता है.

लेकिन इसमें ये ज़रूर कहा गया है कि अमेरिका में बने हथियारों पर इसराइल की निर्भरता रही है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मानवता क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए इनका इस्तेमाल हुआ होगा. हो सकता है कि इन हथियारों से लोगों को कम से कम नुक़सान पहुंचे इसका ध्यान रखते हुए इनका इस्तेमाल हुआ हो.

इसमें कहा गया है कि इसराइल के पास सैन्य अभियानों से नागरिकों को कम से कम नुक़सान पहुंचाने का तरीक़ा,अनुभव और उपकरण हैं. लेकिन जिस बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई उससे ये सवाल उठता है कि क्या इसराइली सेना ने हथियारों का प्रभावी इस्तेमाल किया भी या नहीं.

रिपोर्ट के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र और मानवीय संगठनों ने कहा है कि इसराइल ने नागरिकों को पहुंचने वाले नुक़सान को कम करने के लिए जो क़दम उठाए थे वो असंगत, बेअसर और अपर्याप्त थे.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाया कि इसराइल ने संघर्ष के शुरुआती महीनों में ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने की अमेरिकी कोशिश में पूरा साथ नहीं दिया. हालांकि अब वो परिस्थिति बदल गई है.

रिपोर्ट में कह गया है, “फ़िलहाल हम इस बात का आकलन नहीं कर रहे हैं कि इसराइली सरकार ग़ज़ा में अमेरिकी मानवीय सहायता की डिलीवरी या ट्रांसपोर्टेशन को रोक रही है या उसे सीमित कर रही है.’’

तुर्की में अमेरिका के पूर्व राजदूत डेविड सेटरफ़ील्ड इस रिपोर्ट के लेखकों में शामिल रहे हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि ये अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है. अमेरिका इसराइल के क़दमों की समीक्षा करता रहेगा.

उन्होंने कहा, “ऐसा संघर्ष दुनिया ने अब तक नहीं देखा था. हमने एक साफ़ और भरोसेमंद फ़ैसला देने के लिए सभी चीज़ों पर ग़ौर किया है.’’

बाइडन की चेतावनी का इसराइल पर कितना असर?

ये रिपोर्ट अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से सार्वजनिक तौर पर जारी की गई उस चेतावनी के बाद आई है कि इसराइल ने अगर रफ़ाह पर हमला किया तो वो उसके बमों और तोप के गोलों की सप्लाई रोक लेगा. रफ़ाह में इस समय लाखों फ़लस्तीनी शरण लिए हुए हैं.

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के कुछ ही समय पहले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने चेतावनी दी थी कि रफ़ाह में ऑपरेशन ‘रेड लाइन’ को पार करेगा. उन्होंने कहा था कि अगर ज़रूरत पड़ी तो इसराइल पूरी तरह अपने दम पर लड़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सोमवार से अब तक रफ़ाह से 80 हज़ार लोग भाग चुके हैं. लगातार बमबारी के बीच इसराइली टैंक ऐसी जगहों पर जमा हो रहे हैं जहां से आगे की कार्रवाई की जा सकती है.

इस बीच इसराइली सेना ने ज़मीनी नियंत्रण स्थापित कर मिस्र से लगने वाली रफ़ाह क्रॉसिंग को बंद कर दिया है. जबकि संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि उसकी गाड़ियों और कर्मचारियों के लिए इसराइल पार जाने वाले केरेम शलोम पहुंचने का रास्ता बेहद ख़तरनाक हो गया है.

हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को दक्षिणी ग़ज़ा पर हमला किया था. इस हमले में 1200 लोग मारे गए थे और 252 लोग बंधक बना लिए गए थे.

इसके बाद इसराइल ने ग़ज़ा पर जवाबी हमला शुरू कर दिया था. हमास की ओर से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुातिबक़ इस हमले में अब तक मरने वालों की तादाद बढ़कर 34,900 तक पहुंच गई है.सोर्स बीबीसी.