कर्ज चुकाने के पैसे नहीं, क्या दिवालिया हो जाएगा पाकिस्तान? IMF ने जताई ये चिंता,
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान भारी नकदी संकट से जूझ रहा है और उसे लोन रीपेमेंट में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद पहुंची है। पाकिस्तान एक बार फिर बेलआउट पैकेज मांग रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की फाइनेंशियल एजेंसी- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता पर गंभीर संदेह जताया है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान भारी नकदी संकट से जूझ रहा है और उसे लोन रीपेमेंट में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान ने एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EPF) के तहत नए बेलआउट पैकेज की गुजारिश की थी। इसके बाद IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद पहुंची है। उसी ने पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह जताया है।
पाकिस्तान के जियो न्यूज ने पिछले दिनों पाकिस्तान पर अपनी स्टाफ रिपोर्ट जारी की थी। इसमें उसने IMF के हवाले से कहा, ‘पाकिस्तान की फंड चुकाने क्षमता काफी कमजोर है। इसमें कई जोखिम भी हैं। पाकिस्तान जरूरी नीतियों पर अमल करने तक के लिए भी बाहरी मदद पर बुरी तरह से निर्भर है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पाकिस्तान आर्थिक सुधारों को अपनाने में देरी कर रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी कम हो गया है। कैश फ्लो भी बड़ी गिरावट आई है। सामाजिक और सियासी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इन सबके चलते नीतियां लागू करने में भी दिक्कत हो रही है। उसका लोन रीपेमेंट कैपिसिटी और क्रेडिट स्टेबिलिटी भी खत्म हो गई है।’
पाकिस्तान को अगले पांच साल में 123 अरब डॉलर की जरूरत
वित्त वर्ष | फंडिंग की जरूरत |
2024-25 | 21 अरब डॉलर |
2025-26 | 23 अरब डॉलर |
2026-27 | 22 अरब डॉलर |
2027-28 | 29 अरब डॉलर |
2028-29 | 28 अरब डॉलर |
पाकिस्तान को भारी कर्ज की जरूरत
ग्लोबल लेंडर IMF का कहना है कि पाकिस्तान को अगले पांच साल के दौरान 123 अरब डॉलर की फंडिंग की जरूरत होगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तान के वित्तीय दल के साथ अगले लॉन्ग टर्म लोन प्रोग्राम के बारे में चर्चा करेगी।
वहीं, आगे का फैसला IMF मिशन लेगा, जो 16 मई को पाकिस्तान आएगा। वह अलग-अलग विभागों से डेटा लेगा और मौजूदा वित्त वर्ष के बजट के बारे में भी चर्चा करेगा। IMF की टीम 10 दिनों तक पाकिस्तान में रहेगी। पाकिस्तान ने क्लाइमेट फाइनेंसिंग के तहत तीन साल के लिए 6 और 8 अरब डॉलर के अगले बेलआउट पैकेज की मांग की है।
हालांकि, IMF पहले ही साफ कर चुका है कि पाकिस्तान को आर्थिक सुधारों में तेजी लानी होगी। इसमें अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ विदेशी कर्ज घटाने का उपाय करने जैसी चीजें शामिल हैं।
चीन, सऊदी भी कर्ज ले रहा पाक
इस बीच पाकिस्तान बाहरी वित्तपोषण में 23 अरब डॉलर के भारी अंतर को पूरा करने के लिए चालू वित्त वर्ष में चीन जैसे प्रमुख सहयोगियों से करीब 12 अरब डॉलर का कर्ज लेने वाला है। पाकिस्तान सरकार असल में IMF मिशन टीम के आने से पहले बजट टारगेट को हासिल करना चाहती है।
पीटीआई ने वित्त मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान सऊदी अरब से 5 अरब डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3 अरब डॉलर और चीन से 4 अरब डॉलर की मदद लेगा। वहीं, पाकिस्तान को नए लोन प्रोग्राम के तहत IMF से 1 अरब डॉलर से अधिक की मदद मिलेगी।
पाकिस्तान ने अनुमानित बजट में वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी नई फंडिंग को शामिल किया है। पाकिस्तान वित्तीय संस्थानों के साथ नए लोन प्रोग्राम के समझौते करेगा। पाकिस्तान का बजट जून में आ सकता है। वहीं, IMF के साथ नए लोन प्रोग्राम की बात मई के मध्य में शुरू होने की उम्मीद है।
दिवालिया होने वाला था पाक
पाकिस्तान पिछली गर्मियों में डिफॉल्ट होने से बाल-बाल बचा था। दरअसल, IMF की शर्तें मानने में पाकिस्तान आनाकानी कर रहा था। ऐसे में IMF भी कर्ज देने को राजी नहीं हो रहा था। हालांकि, IMF ने ऐन मौके पर बेलआउट पैकेज को मंजूर करके पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा लिया।
अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार जरूर आया है। मुद्रीस्फीति पिछले साल मई में 38 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं, इस साल अप्रैल में यह घटकर 17 प्रतिशत के स्तर पर आ गई। इससे आम जनता को महंगाई से कुछ राहत मिली है।
क्या होता है बेलआउट पैकेज?
बेलआउट पैकेज दरअसल किसी देश या फिर कंपनी को दिवालिया होने से बचाने के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद है। यह कर्ज, नकद, बॉन्ड या फिर स्टॉक खरीद के रूप हो सकती है। कई बार बेलआउट पैकेज को वापस लौटाने की शर्त भी होती है और कई बार नहीं भी होती। लेकिन, इसका समय-समय पर निरीक्षण और निगरानी की जाती है।
बेलआउट पैकेज का मकसद किसी ऐसे देश या बिजनेस को सपोर्ट देना होता है, जिसका देश या विदेश स्तर पर व्यापक असर पड़ सकता है। लाखों लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो सकती है।
अब जैसे पाकिस्तान की बात करें, तो उसके दिवालिया होने से करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। पाकिस्तान परमाणु क्षमता से लैस मुल्क भी है। उसके दिवालिया होने की सूरत में यह घातक हथियार गलत हाथों में भी पड़ सकता है, जिसका अंजाम काफी खतरनाक हो सकता है।
यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं लगातार बेलआउट पैकेज देकर पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचाने की कोशिश में लगी हैं।सोर्स जागरण.