उत्तराखंड: स्वामी अग्निवेश ने पाखंड को खंड-खंड करने के लिए छेड़ी मुहिम

आर्य समाज के प्रमुख स्तम्भ स्वामी अग्निवेश ने ‘वेदों की ओर लौटो’ यात्रा के सिलसिले में देश का भ्रमण किया। उन्होंने हरिद्वार के वैदिक मोहन आश्रम से यह यात्रा शुरू की थी। समाज में व्याप्त पाखंड के खिलाफ आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती ने डेढ़ सौ साल पहले सन 1868 में पाखंड खंडिनी पताका लहराई थी और पूरे देश में पाखंड के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ा था। इससे आर्य समाज का पूरे देश में विस्तार हुआ। अब डेढ़ सौ साल बाद धर्म के ठेकेदारों द्वारा समाज में फैलाए जा रहे पाखंड के खिलाफ स्वामी अग्निवेश ने 21 सितंबर को अपनी यात्रा शुरू की और और इस यात्रा का पहला चरण 25 सितंबर को जयपुर में पूरा हुआ।

अपनी इस यात्रा के समापन के बाद स्वामी अग्निवेश पहली नवंबर को हरिद्वार में पाखंड के खिलाफ एक बड़ा जलसा करेंगे। इसमें देशभर से विभिन्न धर्मों के धर्माचार्य जुटेंगे। जो राम रहीम, आसाराम बापू, फलहारी बाबा, रामपाल जैसे पाखंडी बाबाओं के द्वारा धर्म के नाम पर जनता में फैलाए गए पाखंड के खिलाफ जनजागरण करेंगे। स्वामी अग्निवेश की ‘वेदों की ओर लौटो’ यात्रा इस मायने में बहुत महत्त्वपूर्ण रही। उन्होंने जहां आर्यसमाजी शिक्षण संस्थाओं में पाखंड के खिलाफ उद्बोधन किया, वहीं रुड़की में उन्होंने एक मदरसे के शिक्षकों और छात्रों के बीच सभी धर्मों के पाखंड के खिलाफ बोले।

हरिद्वार के बहादराबाद के विकासखंड में स्थित आर्य इंटर कॉलेज में उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को समाज में फैले पाखंड के खिलाफ जागरूक किया और अपने अभियान में युवाओं से जुटने की अपील की। उनकी अपील का खासा असर भी पड़ा। स्वामी अग्निवेश का कहना है कि राम रहीम जैसे पाखंडी बाबाओं ने धर्म की आड़ में जो धंधा चला रखा है, उससे लोगों की धर्म के प्रति आस्था डगमगा रही है और ऐसे लोगों की जगह जेल में है। स्वामी अग्निवेश के इस अभियान में अमर शहीद अशफाक उल्ला खां के पौत्र अशफाक उल्ला खां और वर्ल्ड पीस आर्गनाईजेशन के महासचिव मौलाना ए.आर. शाहीन कासमी भी शामिल थे। कासमी कहते हैं कि स्वामी अग्निवेश ने सही वक्त पर पाखंड के खिलाफ जन जागरण यात्रा शुरू की है। इस यात्रा को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि वेद आदि ग्रंथ हैं। वेदों में भी मूर्ति पूजा वर्जित है और इस्लाम में भी। उन्होंने कहा कि आज समाज में सभी धर्मों में पाखंडियों का बोलबाला है। समाज को इस पाखंड से बचाने के लिए जन जागरण बेहद जरूरी है।

अशफाक उल्ला खां कहते हैं कि आजादी की लड़ाई के वक्त अंगे्रजों को देश से भगाने का जो युवाओं में जज्बा था वैसा ही कुछ पाखंडियों को भगाने के लिए पैदा करना पडेÞगा और उन्हें उम्मीद है कि स्वामी अग्निवेश का यह अभियान युवाओं में पाखंड के खिलाफ अभियान छेड़ने का जज्बा पैदा करेगा। स्वामी अग्निवेश का मानना है कि उनके इस अभियान से केवल हिन्दू समाज के लोग ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी जुड़ रहे हैं। इसलिए आर्य समाज का यह आंदोलन एक नया रूप ले रहा है। और आर्य समाज में फिर से नई क्रांति का सूत्रपात हो रहा है। स्वामी अग्निवेश की ‘वेदों की ओर लौटो’ यात्रा हरिद्वार, बहादराबाद, रुड़की, देवबंद होती हुई जयपुर में समाप्त हुई।

रुड़की में उन्होंने एक मदरसे में इस यात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने सभी धर्मों में फैले पाखंडियों का पर्दाफाश करने की अपील की। देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के बैनर तले आयोजित पैगाम-ए-अमन तथा इंसानियत कांफ्रेंस में स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मुल्क की तरक्की के लिए अमन व आपसी भाईचारा जरूरी है। सरकारों को बंटवारे की राजनीति नहीं करनी चाहिए। उनका देवबंद के शेखुल हिन्द हाल में जोरदार स्वागत हुआ। सम्मेलन में आर्य समाज के अलावा मुसलिम और जैन समाज के लोग भी जुटे। देवबंद में दारुल उलूम में मोहतमिम नौमानी से भी मिले।

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